लोकसभा चुनाव में मिली हार ने भाजपा की बढ़ाई मुश्किलें

लोकसभा चुनाव में मिली हार ने भाजपा की बढ़ाई मुश्किलें

सिरसा संसदीय सीट पर मिली करारी हार ने भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव की लड़ाई मुश्किल कर दी है। सिरसा संसदीय सीट में आने वाली तीनों विधानसभा क्षेत्र में से एक में भी नहीं जीत पाने से भाजपा के प्रति सत्ता विरोधी लहर का सीधा संदेश गया है। सबसे बड़ा फेरबदल टोहाना में हुआ है। पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने कांग्रेस का साथ देकर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। यहां से सुभाष बराला राज्यसभा सदस्य बनने के बाद विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने की संभावना जता चुके हैं। ऐसे में बबली को टक्कर देने के लिए भाजपा के लिए नया चेहरा ढूंढना ही पहली चुनौती रहेगी। इन आधारों पर अब जिले में नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे।

दरअसल, 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में इंडिया गठबंधन प्रत्याशी कुमारी सैलजा ने टोहाना से 48,411, रतिया से 36,332 और फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से 22,641 वोटों की लीड पाई है। अगर, साल 2019 के चुनावी समीकरण देखें तो तीन में से दो सीटें भाजपा ने जीती थी। मगर, दोनों ही जगह जीत का अंतर बेहद कम था। फतेहाबाद में दुड़ाराम 3300 वोटों से जबकि रतिया में लक्ष्मण नापा सिर्फ 1216 वोटों से जीते थे। ऐसे में लोकसभा चुनाव में कुमारी सैलजा को मिली लीड ने कांग्रेस के लिए राह आसान करने का काम किया है। टोहाना से देवेंद्र सिंह बबली जजपा की टिकट पर विधायक बने थे। हालांकि, उनकी जीत का अंतर 52,302 वोटों का था।

साल 2019 के चुनाव में विधायक दुड़ाराम ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर 77,369 वोट हासिल किए थे। दूसरे नंबर पर रहे जजपा के प्रत्याशी डॉ. वीरेंद्र सिवाच ने 74,069 वोट पाए थे। उस समय कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा 20,898 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। मगर, अब डॉ. वीरेंद्र सिवाच कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। साथ ही जजपा का वोट बैंक अब कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो चुका है।

टोहाना में देवेंद्र सिंह बबली साल 2019 में जजपा की टिकट पर 1,00,752 वोट लेकर विधायक बने थे। उन्होंने तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को 52,302 वोटों से हराया था। बराला को 48450 वोट मिले थे। अब सुभाष बराला राज्यसभा जा चुके हैं। ऐसे में भाजपा को नया उम्मीदवार ढूंढना पड़ेगा। पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व कृषि मंत्री परमवीर सिंह 16,717 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, अब देवेंद्र बबली कांग्रेस में जाने का मूड बना चुके हैं। अगर वह कांग्रेस से मैदान में आए तो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

वर्ष 2019 में पहली बार रतिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने जीत हासिल की थी। यहां से लक्ष्मण नापा 1216 वोटों से जीतकर विधायक बने थे। उस चुनाव में लक्ष्मण नापा को 55,160 वोट मिले थे। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार जरनैल सिंह को 53,944 वोट मिले थे। जजपा प्रत्याशी मंजू बाला 29,909 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रही थी। मगर, अब मंजू बाला इनेलो में शामिल हो चुकी हैं। मात्र 1216 वोटों से जीतने वाली भाजपा की रतिया में कुमारी सैलजा को मिली 36,332 वोटों की लीड ने परेशानी बढ़ा दी है।