सतनाम संधू ने पंजाब की कुछ पिछड़ी जातियों को एससी/एसटी में शामिल करने का मुद्दा राज्यसभा में उठाया

सतनाम संधू ने पंजाब की कुछ पिछड़ी जातियों को एससी/एसटी में शामिल करने का मुद्दा राज्यसभा में उठाया

संसद के चल रहे बजट सत्र के दौरान, सांसद (राज्यसभा) सतनाम सिंह संधू ने एक प्रस्ताव के माध्यम से पंजाब के पिछड़े आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मुद्दा उठाया।

इस पर संधू ने कहा कि पंजाब के अति पिछड़े जनजातीय समुदायों, जिनमें मुख्य रूप से बाजीगर, बाउरिया, गडीला, नट, सांसी, बराड़ और बंगाली समुदाय शामिल हैं, को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाना चाहिए।

सांसद संधू ने कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पिछड़ी जनजातियों के विकास और सम्मान के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। पिछड़ी जनजातियों के बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मॉडल स्कूल खोले गए, उनकी आजीविका के लिए आदिवासी बहुउद्देशीय विपणन केंद्र बनाए गए और सिकलसेल एनीमिया को खत्म करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा करके इन पिछड़े वर्गों को बड़ा सम्मान दिया गया है।"

सांसद संधू ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनेक नई जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करके इन जनजातियों को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र से जोड़ा है। लेकिन पंजाब की पिछड़ी जनजातियों को अभी तक इसका कोई लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पंजाब में किसी भी जनजाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।

उन्होंने कहा, "पंजाब में 40 से ज़्यादा जनजातियों का उल्लेख है। कुछ नृवंशविज्ञान अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि पंजाब के कम से कम सात आदिवासी समुदायों को एसटी का दर्जा दिया जाना चाहिए। इन समुदायों में बाजीगर, बाउरिया, गडीला, नट, सांसी, ब्रॉड और बंगाली समुदाय शामिल हैं।"

उन्होंने सिकलीगर समुदाय की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा, "सिकलीगर सिख समुदाय भी एक जनजाति है जो युद्धों में देश और धर्म की रक्षा के लिए हथियार बनाती थी। लेकिन आज यह समुदाय हाशिए पर है।"

उन्होंने कहा कि वर्षों से पंजाब के विभिन्न मुख्यमंत्रियों ने इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता देने के वादे किए थे, जो आज तक पूरे नहीं हुए। इसके कारण पंजाब में रहने वाले पिछड़े वर्ग के आदिवासी लोग मोदी सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "इन पिछड़ी जातियों को एसटी के रूप में मान्यता न मिलने के कारण न तो इनके बच्चों को दाखिला मिला, न ही इन्हें आरक्षण का लाभ मिला और न ही छात्रवृत्ति मिली। पहले से ही पिछड़े ये लोग विकास की दौड़ में हाशिए पर चले गए हैं।"

संसद में संधू ने मांग की, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा पिछड़ी जनजातियों को दिए जा रहे लाभ, जो भारत के प्रत्येक नागरिक तक पहुँच रहे हैं, पंजाब के इन समुदायों को भी दिए जाने चाहिए। अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने से पंजाब की इन जनजातियों को आरक्षण, शिक्षा, रोजगार के अवसरों के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। यह इन समुदायों के समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया ने देखा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के वंचित और पिछड़े वर्गों की किस्मत बदल गई है। उनकी नीतियों ने न केवल 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया है। दशकों तक सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहे एससी-एसटी समुदाय आज गर्व के साथ आगे बढ़ रहे हैं, सशक्त हो रहे हैं और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत कर रहे हैं। जहां देशभर के आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार मिल रहे हैं, वहीं पंजाब की इन उपेक्षित जनजातियों को भी अब उनके अधिकार मिलने चाहिए।"

राज्यसभा सदस्य ने सदन में सरकार से अपील करते हुए कहा, "इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर इनकी किस्मत बदलिए। यह सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं होगा, बल्कि वंचितों को सशक्त बनाने और प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास' के सपने को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।"