केदारनाथ त्रासदी की 9वीं पुण्यतिथि आज, PM के ड्रीम प्रोजेक्ट ने बदला स्वरुप

केदारनाथ त्रासदी की 9वीं पुण्यतिथि आज, PM के ड्रीम प्रोजेक्ट ने बदला स्वरुप

 रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में वर्ष 2013 में केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है। हालांकि आपदा के नौ वर्ष गुजर गए हैं किंतु इस प्रलयकारी आपदा के जख्म आपदा की बरसी पर फिर से ताजे होते चले जाते हैं। इस भीषण आपदा में अब भी 3,183 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है।
16-17 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदारनाथ में हुई तबाही का मंजर बेहद खौफनाक था। तब यह अनुमान लगा पाना मुश्किल था कि भविष्य में केदारनाथ यात्रा शुरू हो पाएगी भी या नहीं। लेकिन, बीते नौ वर्षों में यात्रा के प्रति देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों का उत्साह दोगुना हो गया। इस कालखंड में केदारपुरी का स्वरूप भी पूरी तरह बदल चुका है। लेकिन, उस त्रासदी को भुलाया नहीं जा सकता।
सरकार ने केदारपुरी को आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित बना दिया है। धाम के चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं। धाम में पहले के मुकाबले अब तीर्थ यात्रियों को काफी बेहतर सुविधाएं सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही हैं। आपदा के बाद ही पहली बार वर्ष 2019 में दस लाख से अधिक यात्री बाबा के दर्शनों को पहुंचे। PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट
वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत तीन चरणों में कार्य होने हैं। इनमें द्वितीय चरण के 125 करोड़ के कार्य इस वर्ष अंत तक पूरे करने का लक्ष्य है। जबकि, प्रथम चरण में 130 करोड़ के कार्य पूरे हो चुके हैं।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित बताते हैं कि मंदिर के ठीक पीछे मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर 390 मीटर लंबी 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई गई है। इसके चलते आपदा की दृष्टि से केदारपुरी काफी सुरक्षित हो गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर भी सुरक्षा दीवार बनाई गई है। सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के लिए 210 भवनों का निर्माण केदारपुरी में कराया है।
भीमबली से केदारनाथ तक दस किमी नया रास्ता तैयार किया गया है। इसमें छोटी लिनचोली, लिनचोली, रुद्रा प्वांइट समेत कई पड़ाव विकसित कर यहां यात्रियों के ठहरने की व्यवस्थाएं की गई हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग पर तीन से चार मीटर चौड़े रेलिंग लगाई गई है जो पहले के मुकाबले काफी अच्छा व सुरक्षित हो गया है।