सांसदों को आवास अलॉटमेंट के क्या हैं नियम, राघव चड्ढ़ा को क्यों मिला था नोटिस?

सांसदों को आवास अलॉटमेंट के क्या हैं नियम, राघव चड्ढ़ा को क्यों मिला था नोटिस?

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढ़ा को बंगला विवाद में पटियाला हाउस कोर्ट  से राहत तो मिल गई है लेकिन यह स्थायी राहत नहीं है. कोर्ट ने कहा है बिना कानूनी प्रक्रिया बंगला खाली नहीं करा सकते. राघव चड्ढ़ा पिछले साल सितंबर में राज्यसभा सांसद बने थे. जिसके बाद उन्हें नई दिल्ली स्थित पंडारा रोड पर टाइप-VII बंगला आवंटित कर किया गया था लेकिन मार्च में उस आवंटन को रद्द करने का नोटिस जारी हुआ। राघव चड्ढ़ा का कहना था कि उन्हें यह पहेली समझ नहीं आई कि कुछ ही महीने पहले जिस बंगले को उनके नाम अलॉट किया गया, उसे इतनी जल्दी रद्द करने और उसे खाली करने का नोटिस क्यों दिया गया? इसके बाद ही राघव चड्ढ़ा ने कोर्ट का रुख किया था, जहां से उन्हें राहत मिल गई है।

सांसदों के बंगले का आवंटन केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के निदेशालय के जरिए किया जाता है. यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों, केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आयोगों के प्रमुखों के आवास का आवंटन भी इसी माध्यम से होता है।

लोकसभा और राज्यसभा के दोनों सदनों में बंगला आवंटन और रद्द करने के लिए सांसदों वाली एक सदन समिति है. इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के पास न्यायाधीशों के लिए भी बंगला अलॉट करने का अपना पूल है।

राघव चड्ढ़ा की तरह पहली बार राज्यसभा सांसद बनने वाले को आमतौर पर टाइप-V बंगले या सिंगल फ्लैट आवंटित किया जाता है. पहली बार सांसद बने लोगों को या तो बीडी मार्ग या फिर नॉर्थ एंड साउथ एवेन्यू में फ्लैट आवंटित किए जाते हैं. टाइपV में भी चार श्रणियां हैं-मसलन ए, बी, सी और डी. इन सबमें कुछ सुविधाओं और स्पेस में फर्क हैं।

नियम के मुताबिक इसके बाद की श्रेणी में टाइप-VI का बंगला या डबल फ्लैट उन सांसदों के लिए होता है जो पूर्व राज्य मंत्री हों, लोकसभा के उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, मनोनीत सदस्य, पार्टियों के सदन के नेता या फिर वे सदस्य जिन्होंने कम से कम एक कार्यकाल पूरा कर लिया है।