पतंजलि मामले में उत्तराखंड आयुष विभाग को ‘सुप्रीम’ फटकार…एक लाख रुपये का लगा जुर्माना

पतंजलि मामले में उत्तराखंड आयुष विभाग को ‘सुप्रीम’ फटकार…एक लाख रुपये का लगा जुर्माना

मंगलवार के दिन सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य के औषधि विभाग की लाइसेंसिंग अथॉरिटी की कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में अथॉरिटी की निष्क्रियता पर सवाल उठाया और कहा कि आप अब नींद से जागे हो।

सुप्रीम कोर्ट में मामले में सुनवाई शुरू होने पर रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्त मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि हमने जो माफीनामा अख़बारों में दिया था। उसे कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करवा दिया है। मुकुल रोहतगी ने इसके बाद अखबारों में छपा माफीनामा भी दिखाया।सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अधिवक्ता से पूछा कि आपने ओरिजनल रिकॉर्ड क्यों नहीं दिए ? आपने ई-फाइलिंग क्यों की? कोर्ट ने कहा कि इसमें तो बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन है। कोर्ट ने कहा हम अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। हमने ओरिजनल कॉपी मांगी थी, वो कहां है?

कोर्ट की इस बात पर बाबा रामदेव के वकील बलबीर सिंह ने कहा कि हो सकता है मेरी अज्ञानता की वजह से ऐसा हुआ हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि, पिछली बार जो माफीनामा आपने छापा था, वो छोटा था और उसमें सिर्फ पतंजलि लिखा था। लेकिन इस बार का माफीनामा बड़ा है। इसके लिए हम आपकी तारीफ करते हैं कि आखिरकार आपको हमारी बात समझ में आ गई। आप सिर्फ अख़बार और इस दिन की तारीख का माफीनामा जमा करें।

 

सुप्रीम कोर्ट में जब उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने बताया कि पतंजलि और उसकी ईकाई दिव्या फार्मेसी के 14 मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से 15 अप्रैल को रद्द कर दिया गया था। तो इस पर कोर्ट ने अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अब नींद से जागे हैं।

कोर्ट ने कहा इससे पता चल जाता है कि जब आप कुछ करना चाहते हैं तो आप पूरी तेजी काम करते हैं। लेकिन जब आप नहीं करना चाहते हैं तो इसमें सालों लग जाते हैं।

अब आपने तीन दिन में एक्शन लिया। लेकिन बीते नौ महीने से आप क्या कर रहे थे?

अब आप नींद से जागे हो।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड आयुष विभाग की लाइसेंसिंग अथॉरिटी पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि पतंजलि फॉर्मेसी की 14 दवाओं की जो आपने प्रोडक्शन सस्पेंड की है वो कब तक है? इस पर आयुष विभाग ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें संबंधित विभाग के पास तीन महीने के अंदर अपील दाखिल करनी होगी।

बहरहाल अब इस मामले में 14 मई को सुनवाई होगी। अगली सुनवाई के लिए रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की छूट दी गई है।