15 साल पुराना वनवास खत्म, सीएम त्रिवेन्द्र ने किया डोबरा-चांठी पुल जनता को समर्पित

15 साल पुराना वनवास खत्म, सीएम त्रिवेन्द्र ने किया डोबरा-चांठी पुल जनता को समर्पित
सीएम त्रिवेन्द्र ने किया डोबरा-चांठी पुल जनता को समर्पित

नई टिहरी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज टिहरी झील के ऊपर बने बहुप्रतिक्षित डोबरा-चांठी पुल का उद्घाटन कर दिया है। यह देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज है। इस पुल के बन जाने से टिहरी जिले के प्रतापनगर क्षेत्र की करीब ढाई लाख की आबादी को का वनवास समाप्त होगा। इस अवसर पर सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रतापनगर के लोगों ने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया। राज्य स्थापना दिवस पर ये उनके लिए सौगात है। अब लोगों को टिहरी जाने के लिए लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़ेगा। इस पुल को आकर्षक भी बनाया गया है। जिससे ये पर्यटन का केंद्र भी बनेगा।
पुल निर्माण को चला लंबा संघर्ष
शुरूआती दौर से ही विवादों में रहे डोबरा-चांठी पुल बनने से दो लाख की आबादी के सपनों को पंख लगेंगे। जनता के संघर्षों से बने पुल से झील बनने के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर वासियों के लिए पुल जीवन रेखा का काम करेगा। प्रतापनगर के लोगों को अब 50-60 किमी अतिरिक्त सफर तय नहीं करना पड़ेगा। 
2005 में शुरु हुआ वनवास आज हुआ समाप्त
बता दें कि वर्ष 2005 में टिहरी बांध की झील के भरने के कारण प्रतापनगर के आवागमन के रास्ते बंद हो गए थे, जिसके चलते लोगों ने लंबे समय तक लंबगांव, ओखलाखाल से लेकर कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में प्रभावितों ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया। भारी जन दबाव के कारण तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने पुल की स्वीकृति थी। 
डोबरा-चांठी देश का पहला लंबा भारी वाहन पुल   
डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे पहला झूला पुल है, जिसकी लंबाई 725 मीटर है और जो भारी वाहन चलाने लायक बना है। समुद्रतल से 850 मीटर की ऊंचाई पर पुल बना है। टिहरी झील को अधिकतम आरएल 830 मीटर तक भरा जा सकता है। पुल की चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें से साढ़े पांच मीटर पर वाहन चलेंगे।
बाकी के डेढ़ मीटर पर पुल के दोनों तरफ 75-75 सेंटीमीटर फुटपाथ बनाए गए हैं। पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है, जिसमें से 440 मीटर झूला पुल है। वहीं 260 मीटर डोबरा साइड और 25 मीटर का एप्रोच पुल चांठी की तरफ बनाया गया है।
पुल के दोनों किनारों पर 58-58 मीटर ऊंचे चार टॉवर निर्मित हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर/ लोनिवि के ईई एसएस मखलोगा का कहना है कि भारी वाहन चलने लायक यह देश का पहला झूला पुल है।