SC ने भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए और मुआवजे की केंद्र की याचिका खारिज की

SC ने भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए और मुआवजे की केंद्र की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से मुआवजा बढ़ाने की केंद्र की उपचारात्मक याचिका को खारिज कर दिया, जो अब डॉव केमिकल्स के स्वामित्व में है।

सुप्रीम कोर्ट ने 1984 भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए बढ़े हुए मुआवजे के लिए केंद्र की उपचारात्मक याचिका को खारिज करते हुए कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग भारत सरकार द्वारा लंबित दावों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।"

यह फैसला जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल थे।

अदालत ने कहा, "अगर इसे फिर से खोला जाता है तो यह भानुमती का पिटारा खोल सकता है और दावेदारों के लिए हानिकारक होगा। उपचारात्मक याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है।"

अदालत ने कहा कि बीमा पॉलिसी लेने में विफलता भारत सरकार की ओर से घोर लापरवाही है।

12 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूएस-आधारित फर्म यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए बढ़े हुए मुआवजे के लिए केंद्र की उपचारात्मक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जो अब डॉव केमिकल्स के स्वामित्व में है।

पीड़ितों के लिए बढ़े हुए मुआवजे के लिए केंद्र की उपचारात्मक याचिका में यूनियन कार्बाइड और अन्य फर्मों को गैस त्रासदी पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान हेतु 7,400 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राशि के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी, जो कि 470 मिलियन अमरीकी डालर (1989 में निपटान के समय 715 करोड़ रुपये) की पूर्व निपटान राशि से अधिक थी।