उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला: पूर्व समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर गिरफ्तार

उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला: पूर्व समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर गिरफ्तार
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देहरादून:दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में मुख्य आरोपी तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी ऊधमसिंह नगर अनुराग शंखधर को पुलिस ने शनिवार को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया है। जिले में दर्ज 60 मुकदमों में 44 में शंखधर आरोपी हैं। एसआईटी शंखधर को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
एससी, एसटी और ओबीसी छात्रवृत्ति आवंटन में सामने आई थी बड़ी गड़बड़ी
ऊधमसिंह नगर जिले में वर्ष 2011 से 2018 तक एससी, एसटी और ओबीसी छात्रवृत्ति आवंटन में बड़ी गड़बड़ी सामने आई थी। पहले चरण में बाहरी राज्यों के 303 शैक्षिक संस्थानों की जांच करने के साथ ही 3034 बच्चों से पूछताछ की गई थी, जिसमें 14 करोड़ से अधिक का घपला सामने आया था। कई छात्रों ने तो कॉलेजों में प्रवेश होने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद एसआईटी ने जसपुर, काशीपुर सहित विभिन्न थानों में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही बिचौलियों पर 60 मुकदमे दर्ज किए थे। 
इन मुकदमों में अधिकांश में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर को भी आरोपी बनाया गया है। मुकदमों में दो सरकारी शिक्षकों सहित बिचौलियों की गिरफ्तारी हुई थी। दूसरे चरण में एसआईटी जिले के 217 शैक्षणिक संस्थानों की जांच कर रही है और इनमें 36 संस्थानों की जांच हो चुकी है। इन संस्थानों में 80 सरकारी और 137 निजी शैक्षिक संस्थान शामिल हैं। दूसरे चरण की जांच में अभी तक कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है।
देहरादून में दर्ज मुकदमे में शनिवार को पुलिस ने अनुराग की गिरफ्तारी की है। घोटाले को लेकर पूर्व में भी दो बार अनुराग की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसपी सिटी/एसआईटी प्रभारी ममता बोहरा ने बताया कि जिले में छात्रवृत्ति घोटाले में दर्ज 60 मुकदमों में अधिकांश में अनुराग शंखधर आरोपी हैं। जिस समय घोटालों को अंजाम दिया गया था, उस समय अनुराग शंखधर जिला समाज कल्याण अधिकारी थे। अनुराग को रिमांड पर लेकर जिले में दर्ज मुकदमों को लेकर पूछताछ की जाएगी।
देहरादून के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी रामवतार भी गिरफ्तार
इससे पहले घोटाले में एसआईटी ने देहरादून के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी रामवतार को गिरफ्तार किया था। रामवतार सिंह के खिलाफ डालनवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने पद पर रहते हुए सहारनपुर के एक इंस्टीट्यूट को फर्जी तरीके से करीब 27 लाख रुपये की छात्रवृत्ति जारी की। इस छात्रवृत्ति की इंस्टीट्यूट के मालिकों और अधिकारियों ने बंदरबांट कर ली।