जालंधर में पूरे विपक्ष के जमावड़े पर सीएम मान ने ली चुटकी, कहा- 'एक पंख के पक्षी, एक साथ झुंड'

जालंधर में पूरे विपक्ष के जमावड़े पर सीएम मान ने ली चुटकी, कहा- 'एक पंख के पक्षी, एक साथ झुंड'

जालंधर में एक साथ बैठक करने के लिए सिद्ध पंजाब विरोधी रुख रखने वाले विपक्षी दलों के नेताओं की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 'पंखों के पंछी एक साथ आते हैं'।

एक बयान में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि जो कोई भी इन राजनीतिक दलों के अतीत के बारे में जानता है वह अच्छी तरह जानता है कि उनके हाथ पंजाब और पंजाबियों के खून से रंगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब विरोधी और पंजाबी विरोधी रुख के स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन दलों ने हमेशा राज्य की प्रगति और समृद्धि को खतरे में डालकर भारी नुकसान पहुंचाया है।

भगवंत मान ने कहा कि ये पार्टियां जब भी सत्ता में रही हैं, इन्होंने एक-दूसरे के हितों की रक्षा की है, लेकिन जब से आम आदमी सरकार ने सत्ता संभाली है, राज्य को वैकल्पिक रूप से लूटने के उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे बौखलाए ये नेता अब अपने सारे वैचारिक मतभेद भुलाकर राज्य सरकार का पुरजोर विरोध करने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि भले ही इन नेताओं की अलमारी एक-दूसरे से अलग थी, लेकिन इन सभी राजनीतिक पार्टियों के हाथों में किसी न किसी रूप में मासूम पंजाबियों का खून लगा हुआ है।

भगवंत मान ने कहा कि उनमें से कुछ उन लोगों से जुड़े हुए हैं जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद जनरल डायर को भोजन परोसा था, अन्य वे हैं जिन्होंने पंजाबियों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में टैंक घुमाए थे, जिससे उनके मानस को चोट पहुंची थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में वे नेता भी मौजूद थे जिन्होंने किसान विरोधी कठोर कानून बनाया था, जिसके विरोध में प्रदेश के सैकड़ों बेगुनाह किसानों ने शहादत दी थी।

उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि इन नेताओं ने उन लोगों के साथ एक मंच साझा किया, जिन पर शहीदों के नाम पर बनाए गए स्मारकों के लिए पैसे के गबन का आरोप है।

भगवंत मान ने पंजाबियों को याद दिलाया कि ये नेता राज्य के जल की रक्षा के लिए कभी साथ नहीं आए और न ही श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए।

इसी तरह मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि इन नेताओं ने प्रदेश के मुद्दों पर कभी हाथ नहीं मिलाया बल्कि अब अपनी चमड़ी बचाने के लिए साथ आए हैं।

उन्होंने कहा कि इन नेताओं को राज्य की प्रगति, समृद्धि और शांति की कोई चिंता नहीं है, लेकिन उनका एकमात्र एजेंडा अपने हितों की रक्षा करना है।