सुखबीर बादल ने स्वीकार किया कि बालासर फार्म और गुड़गांव प्लॉट उनका ही है : मलविंदर कंग

सुखबीर बादल ने स्वीकार किया कि बालासर फार्म और गुड़गांव प्लॉट उनका ही है : मलविंदर कंग

शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने कहा कि सुखबीर बादल ने अपने बयान में बालासर फार्म, नहर और गुड़गांव प्लॉट के बारे में तथ्य स्वीकार किए हैं।

आप ने कहा कि बादल परिवार दशकों से पंजाबियों को गुमराह कर रहा है, लेकिन अब जब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के साथ उनके विश्वासघात के दस्तावेज सामने ला दिए हैं, तो सुखबीर बादल को भी पुराने दस्तावेज खंगालने पर मजबूर होना पड़ा है।

शुक्रवार को चंडीगढ़ पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आप पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने सुखबीर बादल पर हमला बोला और कहा कि प्रकाश सिंह बादल का 4 जुलाई 1978 का पत्र रिकॉर्ड में है जहां उन्होंने एसवाईएल के निर्माण के लिए हरियाणा से पैसे की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह बादल के पत्रों को प्रमाणित किया और अपने फैसले में कहा कि पंजाब सरकार एसवाईएल नहर बनाने के लिए तैयार है। बादल परिवार की वजह से पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस हार गई थी।

कंग ने अकाली दल बादल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पंजाब के पानी को बचाने में उनका बलिदान यह है कि जब पंजाबी राज्य के तटीय अधिकारों के लिए लड़ रहे थे और अपने जीवन का बलिदान दे रहे थे, उस समय बादल परिवार ने अपने बच्चों को अमेरिका भेज दिया। उन्होंने कहा कि अब अकाली दल कह रहा है कि प्रकाश सिंह बादल पंजाब के पानी को बचाने के लिए रोजाना मोरारजी देसाई के पास जा रहे थे तो वे एसवाईएल के निर्माण के लिए हरियाणा से फंड की मांग करते हुए पत्र क्यों लिख रहे थे और अदालत ने यह क्यों नोट किया कि पंजाब सरकार एसवाईएल का निर्माण करना चाहती है?

कंग ने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह ने नहर बनाने के लिए हरियाणा से 1 करोड़ का पहला चेक स्वीकार किया। फिर जुलाई 1978 में बादल सरकार ने हरियाणा को 3 करोड़ रुपये के लिए पत्र लिखा और 31 मार्च 1979 को 1.5 करोड़ प्राप्त किए। कंग ने कहा कि भाखड़ा मेन लाइन 1955 में बनी यह सच है लेकिन बालासर नहर 2004 तक सूखी थी। यह बादल परिवार का हरियाणा के चौटाला के साथ एक अलिखित समझौता था कि उसके बाद उनके खेतों को पानी मिलेगा।

कंग ने आगे कहा कि 2007 में बादलों ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के जल समाप्ति अधिनियम की धारा 5 को समाप्त करने के वादे पर पंजाब में फिर से अपनी सरकार बनाई, लेकिन उनकी सरकार बनने और 10 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद उन्होंने वास्तव में उस धारा को कभी समाप्त नहीं किया और हरियाणा व राजस्थान को अतिरिक्त पानी मिलता रहा। हरियाणा को सतलुज से 4.35 एमएएफ और रावी-ब्यास से 1.62 एमएएफ पानी मिलता है जबकि ये दोनों नदियाँ कभी हरियाणा की ज़मीन को छूती भी नहीं थीं। कंग ने पूछा कि इसमें गलती किसकी है? उन्होंने हरियाणा को अधिक पानी देने के लिए बीएमएल के किनारों को 1-1.5 फीट तक बढ़ा दिया। कंग ने कहा कि इन लोगों ने केवल पंजाब और उसके संसाधनों को लूटा और उनका इस्तेमाल अन्य पार्टियों से लाभ लेने के लिए किया।

कंग ने कहा कि दरअसल बादल परिवार ही एसवाईएल के लिए भूमि अधिग्रहण, सुप्रीम कोर्ट में केस हारने, पंजाब से उसके तटीय अधिकारों को लूटने के लिए जिम्मेदार है। उन्हें इसके लिए पंजाब के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने हमेशा अपने निजी स्वार्थों को पंजाब के हितों से ऊपर रखा।