सेना में सुनहरा करियर रहा है जनरल विपिन रावत का, उपलब्धियों की लंबी है लिस्ट

सेना में सुनहरा करियर रहा है जनरल विपिन रावत का, उपलब्धियों की लंबी है लिस्ट
सेना में सुनहरा करियर रहा है जनरल विपिन रावत का, उपलब्धियों की लंबी है लिस्ट

नई दिल्ली: तमिलनाडु में कुन्नूर के करीब सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें 11 लोगों की मौत की खबर है। इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी समेत 14 लोग सवार थे। रक्षा मंत्री संसद में कल इस घटना पर पूरी जानकारी देंगे। बताया जा रहा है कि शाम साढ़े छह बजे सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी अध्यक्षता करेंगे।
तीनों सेना के सर्वोच्च अधिकारी (CDS) जनरल बिपिन रावत (chief of defence staff india) का करियर शुरू से सुनहरा रहा है। उनके नाम पर इतने सम्मान हैं कि गिनने में कुछ वक्त लगेगा। करियर की शुरुआत की बात करें तो 16 दिसंबर 1978 को 11वीं गोरखा राइफल की 5वीं बटालियन में कमिशन हुए जनरल रावत उसी यूनिट में तैनात हुए जिसमें उनके पिता तैनात थे। जनरल रावत को काउंटर इंसरजेंसी और हाई-ऑल्टीट्यूड वारफेयर में महारथ हासिल है और दशकों का तजुर्बा है।
1987 में सुमदोरोंग चू घाटी में एक झड़प के दौरान जनरल रावत की बटालियन को चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के खिलाफ तैनात किया गया था। 1962 के युद्ध के बाद विवादित मैकमोहन रेखा पर यह गतिरोध पहला सैन्य टकराव था जिसमें रावत मोर्चा संभाल रहे थे। उन्होंने मेजर के रूप में उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली है। एक कर्नल के रूप में उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में अपनी बटालियन 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली।
उपलब्धियों के बारे में
उनकी हाल की उपलब्धियों को देखें तो 17 दिसंबर 2016 को भारत सरकार ने दो और वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और पी.एम. हारिज़ को पीछे छोड़ते हुए उन्हें 27वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने जनरल दलबीर सिंह सुहाग की रिटायरमेंट के बाद 31 दिसंबर 2016 को 27वें सीओएएस के रूप में सेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया।
जनरल रावत (chief of defence staff india) फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद गोरखा ब्रिगेड से थल सेनाध्यक्ष बनने वाले तीसरे अधिकारी हैं। 2019 में अमेरिका की अपनी यात्रा पर, जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया था।
विदेश में शांति मिशन
MONUSCO (कांगो का एक मिशन) की कमान संभालते हुए जनरल रावत ने अपनी सेवा की सर्वोच्च भूमिका निभाई. कांगो में तैनाती के दो सप्ताह के भीतर ब्रिगेड को पूर्व में एक बड़े हमले का सामना करना पड़ा, जिसने न केवल उत्तरी किवु (गोमा की क्षेत्रीय राजधानी) बल्कि पूरे देश में स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर दिया. जनरल रावत (chief of defence staff india) की कमान में ही उत्तर किवु ब्रिगेड को मजबूत किया गया। उनका व्यक्तिगत नेतृत्व, साहस और अनुभव ब्रिगेड को मिली सफलता के लिए महत्वपूर्ण थे।
म्यांमार में सैन्य कार्रवाई
जून 2015 में मणिपुर में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया (UNLFW) से जुड़े उग्रवादियों के घातक हमले में अठारह भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। भारतीय सेना ने सीमा पार से हमलों का जवाब दिया जिसमें पैराशूट रेजिमेंट की 21वीं बटालियन की इकाइयों ने म्यांमार में एनएससीएन-के बेस पर हमला किया। दीमापुर स्थित III कोर के संचालन नियंत्रण में 21 पारा था, जिसकी कमान तब रावत के पास थी. उनकी कमान में की गई कार्रवाई सैन्य कार्रवाई में सबसे अहम स्थान रखता है।
भारत के पहले सीडीएस
जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत का (chief of defence staff india) जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी में हुआ और वे भारतीय सेना के चार सितारा जनरल हैं। वे भारत के पहले और वर्तमान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) हैं। 30 दिसंबर 2019 को उन्हें भारत के पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया और 1 जनवरी 2020 से पदभार ग्रहण किया। सीडीएस के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के 57वें और अंतिम अध्यक्ष के साथ-साथ भारतीय सेना के 26वें सेनाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
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