संसद परिसर में सांसद संजय सिंह का धरना रातभर रहा जारी

संसद परिसर में सांसद संजय सिंह का धरना रातभर रहा जारी

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह संसद में धरने पर बैठे हैं। उनका यह धरना सोमवार पूरी रात जारी रहा। संजय सिंह अभी भी धरने पर बैठे हैं।

दरअसल आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को शेष बचे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसके उपरांत वह संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के बाहर धरने पर बैठ गए। सोमवार को राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान आप सांसद संजय सिंह नारेबाजी करते हुए सभापति के आसन के समीप जा पहुंचे थे। वह मणिपुर हिंसा पर चर्चा और सदन में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे थे।

सभापति द्वारा चेतावनी देने के बावजूद संजय सिंह अपने स्थान पर नहीं गए और मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराए जाने की मांग और नारेबाजी करते रहे। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। वहीं आरजेडी से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मंगलवार को एक बार फिर मणिपुर हिंसा मामले पर चर्चा के लिए राज्यसभा सभापति को नोटिस दिया है। मनोज झा ने अपने इस नोटिस के माध्यम से नियम 267 के अंतर्गत राज्यसभा में मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराए जाने की मांग की है। झा का कहना है कि राज्यसभा के अन्य सभी कामकाज रद्द करते हुए मंगलवार को तुरंत मणिपुर पर विस्तार से चर्चा आयोजित की जाए।

गौरतलब है कि सभापति व सरकार इस मुद्दे पर शॉर्ट डिस्कशन कराने के लिए अपनी स्वीकृति दे चुके हैं। मनोज झा इस धरने में भी संजय सिंह के साथ हैं। मनोज झा ने कहा कि यह एक व्यक्ति का निलंबन नहीं, लोकतांत्रिक रवायतों का निलंबन है। उन्होंने कहा कि जब सभापति साहब का अटेंशन नहीं मिला तो संजय सिंह जी आगे गए। मनोज झा ने कहा कि हम सबको संसद से निलंबित कर दो, लेकिन मणिपुर को न्याय दिलवाओ। झा के मुताबिक मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के सांसद ये मांग करने वाले हैं।

विपक्ष के मुताबिक सोमवार को राज्यसभा में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए 27 सांसदों ने नोटिस दिया था। लेकिन किसी पार्टी को बोलने की अनुमति नहीं मिली। सिंह के मुताबिक उन्हें टारगेट करके सस्पेंड कर दिया गया। सभापति की कार्रवाई पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है। संजय सिंह को समर्थन देने के लिए विपक्ष के लगभग एक दर्जन सांसद उनके साथ धरने पर बैठे। उनके साथ धरने पर मौजूद रहे कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि आज संसद के इतिहास में जो घटनाएं घटी हैं वो काली स्याही से लिखी जाएंगी।