पंजाब: किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए 13471 बंद जलधाराएं बहाल की गईं

पंजाब: किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए 13471 बंद जलधाराएं बहाल की गईं

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर राज्य के किसानों को दशकों बाद नहरी पानी मिला, जिससे उनका सपना सच हो गया।

किसानों की नई पीढ़ी ने अपने जीवन में पहली बार प्रकृति की कृपा को नहर के पानी के रूप में अपने खेतों की सिंचाई करते देखा है। यह बात आज यहां पंजाब भवन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जल संसाधन मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कही।

मीत हेयर ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए अपने विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना की और कहा कि राज्य की कृषि और भूजल को बचाने के लिए नहरी जल नेटवर्क को मजबूत करना समय की मुख्य जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जहां किसानों को पहली बार नहरी पानी मिल रहा है, वहीं कपास बेल्ट के किसानों को उनकी मांग पर बुआई सीजन के दौरान नहरी पानी उपलब्ध कराया गया है।

मीत हेयर ने आगे कहा कि पिछले कई दशकों से नहरी पानी की अनुपलब्धता के कारण राज्य में बंद पड़े 15741 जलस्रोतों में से जल संसाधन विभाग द्वारा पिछले ढाई माह के दौरान 13471 जलस्रोतों को बहाल किया गया है।

अब पंजाब में कुल 47000 जलधाराओं में से केवल 2270 को ही बहाल करना बाकी रह गया है, जिसे लेकर काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है।

जलधाराओं को बहाल करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी की और उन्हें सामुदायिक जलधाराओं की जगह सरकारी दर्जा दे दिया गया. इसके अलावा जलधाराओं की मरम्मत की शर्त 25 वर्ष बाद ही समाप्त कर दी गई।

 जल संसाधन मंत्री ने कहा कि विभाग ने इन बंद पड़े जलस्रोतों को करोड़ों रुपये की लागत से बहाल किया है. मनरेगा के माध्यम से 200 करोड़ रु. इसी प्रकार अप्रयुक्त धनराशि का भी उपयोग किया गया। पंजाब में 20 फीसदी से ज्यादा नहरें अपनी क्षमता से ज्यादा चल रही हैं, जिससे टेल तक पर्याप्त पानी भी पहुंच रहा है।

  विभाग ने बीएमएल, बीडीसी और यूबीडीसी की क्षमता भी बढ़ाई। उन्होंने कहा कि नहर का पानी किसानों तक पहुंचे इसके लिए वे लगातार विभाग के एक्सईएन से लेकर पटवारी को तैनात कर नहरों का निरीक्षण करवा रहे हैं।

 उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष तक पंजाब में केवल 21 प्रतिशत सिंचाई नहरी पानी से होती थी जबकि शेष 79 प्रतिशत सिंचाई भूमिगत जल से होती थी। नई पहल से नहरी पानी से सिंचित क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

मीत हेयर ने आगे कहा कि एक और बड़ा कदम उठाते हुए लंबे समय से लंबित पड़े नहरी जल विवादों के राजस्व मामलों का त्वरित निस्तारण किया गया।

एक साल में विवादों के 4700 नए मामले आए जबकि विभाग ने 5016 मामले निपटाए, जिसमें बैकलॉग भी निपटाया गया। अब केवल 1563 मामले लंबित हैं जिनका भी जल्द ही निपटारा कर दिया जाएगा।

बरसात के मौसम में बाढ़ के संभावित खतरे से निपटने के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए मीत हेयर ने बताया कि विभाग ने 318 करोड़ रुपये की लागत से बाढ़ रोकथाम के 318 कार्य पूरे कर लिए हैं। सीज़न शुरू होने से पहले यह 89.10 करोड़ था ।

इनमें 193 नाली सफाई कार्य 46.43 करोड़ रुपये लागत से पूरे किये गये। 39.53 करोड़ रुपये व्यय कर 75 विभिन्न बाढ़ रोकथाम कार्य किये गये। 

इसी तरह विभाग की ओर से पांच मशीनें रुपये की लागत से खरीदी गयीं. 3.15 करोड़ का उपयोग नालों की सफाई में किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इससे विभाग अब साल भर नालों की सफाई करेगा. इस अवसर पर प्रधान सचिव जल संसाधन कृष्ण कुमार भी उपस्थित थे।