भ्रष्टाचारियों की रोटी-बोटी बंद करने की कीमत चुका रहे हैं सीएम त्रिवेन्द्र !

भ्रष्टाचारियों की रोटी-बोटी बंद करने की कीमत चुका रहे हैं सीएम त्रिवेन्द्र !
CM Trivendra Singh Rawat (File Pic)

देहरादून: 2007 से 2017 तक एक दशक उत्तराखंड जिस राजनीतिक अस्थिरता से बुरी तरह जूझता रहा, इस दौर में हुए घोटालों और भ्रष्टाचार के किस्से आज भी गूंज रहे हैं। इस दौर में राजनीतिक अस्थिरता के कारण के कारण उत्तराखंड के अनुकूल नीतियों का भी अभाव रहा, नौकरशाही बेलगाम हो गई उसका उदाहरण  ''राका'' के जलवे के रुप में उत्तराखंड ने देखा।  2016 में तो सारी दुनियां ने खुली आंखों और कानों से बंद आंखों वाले बयान को देखा और सुना। इन सब से खार खाई उत्तराखंड की जनता ने 2017 में भ्रष्टाचार पर ऐसिहासिक जनादेश देकर बंद आंख वालों को घर बिठा दिया। प्रचंड जनादेश से मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री बने त्रिवेन्द्र सिंह रावत भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को न केवल थोक के भाव जेल भेजा बल्कि भ्रष्टाचार के अड्डों को भी उजाड़ना शुरू कर दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम के इस अभियान से उत्ताराखंड के कई पक्षियों और विपक्षियों की रोटी और बोटी बंद हो गई और शुरु हो गया सीएम त्रिवेन्द्र की सरकार को अस्थिर करने का खेल। अब प्रचंड बहुमत की सरकार को अस्थिर करें तो कैसै? तो इसके लिए रास्ता चुना गया सीएम को बदनाम कर छवि बिगाड़ने का। इसके लिए एक स्टिंगिया लगातार बाकायदा अभियान छेड़े हुए है ही और उसकी पैरवी कौन करता है? पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल। है न हैरानी की बात वरना जिस कांग्रेस सरकार के पतन में स्टिंगिए ने बड़ी भूमिका निभाई उसी को बचाने के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिग्गज वकील हाई कोर्ट में पैरवी करने उतर आते हैं। यह विडंबना ही है कि उत्तराखंड को जोंक की तरह चूसने वाले और यहीं से अरबों कमाने वाले जब मुख्यमंत्री की ईमानदारी को छल से भी नहीं डिगा सके तो एक आधारहीन मामले को लेकर उन्हें बदनाम करने की कोशिस कर रहे हैं। सिर्फ इसलिए कि प्रदेश में भ्रष्टाचारियों की रोटी और बोटी बंद जो हो गई है।