ये माहौल सिर्फ त्रिवेन्द्र के खिलाफ नहीं उत्तराखंड की जनता के खिलाफ बनाया गया है, किसके इशारे पर?

ये माहौल सिर्फ त्रिवेन्द्र के खिलाफ नहीं उत्तराखंड की जनता के खिलाफ बनाया गया है, किसके इशारे पर?
CM Trivendra Singh Rawat (File Pic)

उत्तराखंड की सरकार को जनता ने चुना है और जनता से मिले जनादेश को सार्थक करने की जिम्मेदारी भाजपा के हाईकमान ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपी है, बाकायदा विधायकों की सहमति से। फिर अचानक ये तूफान क्यों उठ जाता है कि पार्टी मुख्यमंत्री को बदलने वाली है, विधायक 250 किमी. दूर गैरसैण में राज्य का बजट पास कर रहे थे और भाजपा के कुछ मठाधीश देहरादून में कोर कमेटी की बैठक के बहाने चंद पत्रकारों से ब्रेकिंग न्यूज चलवाकर सरकार बदल रहें थें
उत्तराखंड के इतिहास की अभी तक की सबसे मजबूत टीएसआर सरकार के कदम एक कोर कमेटी की बैठक से क्या लड़खड़ा रहे हैं … बैठक की टाईमिंग और गैरसैंण सत्र में आनन-फानन में बजट पास करने की घटना से कुछ घंटों तक इसी तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। देर शाम होते-होते 40 से अधिक विधायकों की सीएम त्रिवेन्द्र रावत के घर पर बैठक की फोटो और विडियो ने बवाल की गर्माहट को ठंडा जरूर कर दिया। …
लेकिन सियासी गलियारों में ये चर्चा जरूर जिन्दा है कि आखिर 250 किमी दूर पहाड़ में जब सरकार भारी बहुमत से सदन में बजट पास कर रही थी तो उसी वक्त देहरादून में कोर कमेटी की बैठक की मजबूरी क्या थी।
जब सरकार बनाने वाले विधायक गैरसैंण में थे तभी कुछ सांसदो को देहरादून कोेेर कमेटी की बैठक में बुलाकर बाहर मीडिया को किसने सरकार बदलने की बैठक होने की खबर चलवाने के लिए मैनेज किया
आखिर क्यों बाहर आकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीघर भगत और सरकार के प्रवक्ता मंत्री मंदन कौशिक को बैठक का कारण- ’’त्रिवेन्द्र सरकार के 4 साल कार्यक्रम की तैयारी’’ क्यों बताना पड़ा
मतलब साफ है, कि भाजपा के कुछ मठाधीश और उत्तराखंड में मौज करने वाला गैर उत्तराखंडी मीडिया कुछ धन्नासेठो के साथ मिलकर सरकार को ब्लैकमेल करने की जुगत में है।
क्या चुनावी साल में बदलाव की ऐसी चर्चा भाजपा और देवभूमि के लिए उचित है। जो फोटो सीएम की बैठक से बाहर आयी हैं उनमें नये विधायकों के साथ ही अनुभवी विधायकों की मौजूदगी काफी कुछ समझा रही है, 40 से अधिक विधायक सीएम के साथ, मत्रींगण अपने दफतरों में… फिर सरकार कौन बदलवा रहा था
सूत्रों ने बताया कि सीएम के घर बैठक में वरिष्ठ विधायकों ने इस धटना पर चिंता जाहिर कर कहा कि जब चुनावी तैयारी का समय हो तब एैसी चर्चा नुकसान करती हैं, राज्य के इतिहास में अंतिम समय का नेतृत्व परिवर्तन भाजपा के लिए हमेशा धातक साबित हुआ है। भारी बहुमत की त्रिवेन्द्र सरकार में एक तरफ विपक्ष अपने लिए जमीन नहीं तलाश पा रहा है तो दूसरी तरफ भाजपा के चंद नेता विपक्ष को बैठे-बिठाये अवसर दे रहें हैं।
दून में जो कुछ कल हुआ उसकी रिपोर्ट दिल्ली दरबार को केन्द्रीय नेता तो देंगे ही, खुद सीएम रावत सोमवार को आलाकमान से मिलकर अपनी बात रखेंगे । बीजेपी में क्या होगा ये बीजेपी ही जानें, पर इतना भारी बहुमत देने वाली राज्य की जनता को ये अस्थिरता अपने वोट के साथ छलावा ही लग रही है।