उत्तराखंड: विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध डिग्री कॉलेजों में इस साल इस तरह होंगे एडमिशन

उत्तराखंड: विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध डिग्री कॉलेजों में इस साल इस तरह होंगे एडमिशन
उत्तराखंड: विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध डिग्री कॉलेजों में इस साल इस तरह होंगे एडमिशन

देहरादून:उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध 119 कॉलेजों में इस साल बिना प्रवेश परीक्षा के ही दाखिले होंगे। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस साल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उस निर्देश को स्थगित रखा है, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि आगामी सत्र से इस पर विचार किया जा सकता है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूसीईटी) के आधार पर स्नातक में दाखिले की तैयारी है। जो छात्र प्रवेश परीक्षा के आधार दाखिला नहीं पा सकेंगे उनके सामने विकल्प होगा कि वह राज्य विश्वविद्यालय एवं उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में दाखिला पा सकते हैं।
उत्तराखंड सीयूसीईटी में शामिल नहीं होगा। महाविद्यालय शिक्षकों के मुताबिक यूजीसी की नई व्यवस्था के तहत दाखिले के लिए छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। इसके बाद प्रवेश परीक्षा होगी। प्रदेश के महाविद्यालयों में अभी इसकी कोई तैयारी नहीं है इसलिए यदि ये व्यवस्था अपनाई जाती तो दिक्कतें आ सकती थीं।
केंद्रीय विवि और महाविद्यालयों में ग्रेड और राज्य में अंकों के आधार पर मिलेगा प्रवेश
डीएवी पीजी कालेज के प्राचार्य अजय सक्सेना के मुताबिक प्रवेश परीक्षा के बाद बच्चों को ग्रेड दिया जाएगा। इसके आधार पर उनका दाखिला हो सकेगा। दाखिले के दौरान अब छात्र-छात्राओं के इंटरमीडिएट के अंक नहीं देखे जाएंगे। फिलहाल केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में इस आधार पर दाखिले होंगे। वहीं, उत्तराखंड के राज्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में पुरानी व्यवस्था के तहत ही इंटर के अंकों के आधार पर स्नातक में प्रवेश मिलेगा। 
जुलाई से शुरू होगा नया शिक्षा सत्र 
उच्च शिक्षा विभाग के मुताबिक जुलाई 2022 से नया शिक्षा सत्र शुरू होगा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. संदीप शर्मा के मुताबिक प्रदेश में 11 राज्य विश्वविद्यालय और 119 महाविद्यालय हैं। नए शिक्षा सत्र में छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया को लेकर शासन स्तर से निर्णय होना है।