लोकसभा चुनाव परिणाम हरियाणा बीजेपी के लिए खतरे की घंटी? विधानसभा चुनावों में होगी कड़ी टक्कर !

लोकसभा चुनाव परिणाम हरियाणा बीजेपी के लिए खतरे की घंटी? विधानसभा चुनावों में होगी कड़ी टक्कर !

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने ना सिर्फ देश बल्कि हरियाणा की सियासत में भी बहुत कुछ बदला है। देश में बीजेपी जहां पूर्ण बहुमत का आंकड़ा छूने से चूक गई और उसे अपने घटक दलों के साथ मिलकर एनडीए सरकार बनानी पड़ रही है। वहीं हरियाणा में जहां बीजेपी 11 कमल खिलाने की बात कर रही थी वहां वो 6 ही कमल खिला पाई है। जिसमें एक सीट विधानसभा की है। यानी लोकसभा में बीजेपी के पांच ही उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाए। और पांच सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करने में कामयाब रही।

लेकिन हरियाणा में लोकसभा चुनावों का बस इतना सा ही असर नहीं है। यहां लोकसभा चुनावों के नतीजे और भी कहीं ज्यादा मायने रखते हैं। और वो इसलिए क्योंकि इन नतीजों का विधानसभा चुनावों पर सीधा असर पड़ता है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे ये बताने के लिए काफी होते हैं कि इस बार जनता का क्या मूड है। क्योंकि इसी मूड के साथ जनता विधानसभा में वोट करती है। पिछले चार लोकसभा चुनाव के परिणाम करीब-करीब इसी बात को दर्शाते हैं।

इस बार हरियाणा की जनता ने कांग्रेस और बीजेपी को बराबर सीटें दी हैं। हरियाणा में कांग्रेस-आप गठबंधन में लड़ रहे थे इस चुनाव में उनका वोट शेयर 47.61 फीसदी रहा। जबकि बीजेपी को 46.11 फीसदी वोट मिले। दोनों में सिर्फ 1.5 फीसदी का ही अंतर रहा। ऐसे में विधानसभा चुनाव में दोनों में कांटे की टक्कर होती हुई जरूर दिखाई देगी। और इसमें भी क्षेत्रीय दल विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका कितनी निभा पाते हैं। उस पर भी नजर रहेगी। क्योंकि 2019 के चुनाव परिणामों में क्षेत्रीय दल जेजेपी के साथ मिलकर ही बीजेपी ने सरकार बनाई थी। लेकिन अबकी बार स्थितियां अलग रहने वाली हैं।

ऐसे में खासतौर पर बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव के नतीजे सोचने योग्य जरूर बन गए हैं। कि कैसे उस आधी जनता को अपने पक्ष में किया जाए जो लोकसभा चुनावों में पार्टी से छिटकती हुई नजर आई। साथ ही हरियाणा के बीजेपी नेतृत्व की आंखें भी इन नतीजों को देखकर खुली होंगी। अगर खुली होंगी तो उन्हें बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर और किसान जरूर दिखने चाहिए और इन्हें चुनाव में बड़ा मुद्दा समझते हुए इन समस्याओं को हल करने की दिशा में कुछ ना कुछ कदम जरूर उठाने चाहिए। और अगर अब भी बीजेपी की आंखें बंद ही रहती हैं तो फिर कांग्रेस के लिए मैदान खुला ही है।

लेकिन यहां कांग्रेस को ये जरूर समझने की जरूरत है कि अभी लोहा गर्म है। लोगों ने जिन मुद्दों पर बीजेपी से किनारा किया और कांग्रेस की ओर आए अब कांग्रेस को उन मुद्दों पर और ज्यादा काम करना होगा। और लोगों के बीच जाकर लोगों को ये समझाना होगा कि कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों का क्या हल करेगी। कांग्रेस को अपना पूरा रोडमैप लोगों को बताना होगा।

लोकसभा चुनावों के नतीजों को देखकर कांग्रेस इस मुगालते में ना रहे कि अब तो आई गई कांग्रेस पार्टी हरियाणा में। अब तो अक्टूबर 2024 में हरियाणा में कांग्रेस की ही सरकार बन रही है। अब कुछ करने की जरूरत नहीं है। अगर कांग्रेस इस सोच के साथ विधानसभा चुनाव की सियासी पारी को जीता हुआ ही समझने की भूल कर बैठी तो जाहिर है उसके लिए विधानसभा चुनाव में मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद जो देश में माहौल बना उस वक्त बीजेपी ने भी यही सोचा था कि अब तो 400 पार से कोई नहीं रोक सकता। और इसी अतिउत्साह में वो बाकी सब जैसे भूल ही गई।

वहीं भूलना हरियाणा में क्षेत्रीय दलों को भी नहीं चाहिए। क्योंकि ये क्षेत्रीय दल लोकसभा चुनाव में बेशक कुछ ना कर पाए हों लेकिन विधानसभा चुनाव में अच्छी भूमिका में हो सकते हैं। साथ ही इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को भी कुछ अहमियत जरूर देनी पड़ेगी। क्योंकि जिस तरह उसने कुरुक्षेत्र का रण लड़ा है अब उसे इग्नोर नहीं कर सकते ।

इसलिए हरियाणा की जीत की तैयारी बीजेपी को बहुत सोच-समझकर और कांग्रेस को और तीखे तेवर में करनी चाहिए, अगर वाकई में हरियाणा जीतना है तो ।