सावधान:ऑनलाइन ठगी में नया हथियार बना क्यूआर कोड, अपरिचित का भेजा कोड कर देगा खाता खाली

सावधान:ऑनलाइन ठगी में नया हथियार बना क्यूआर कोड, अपरिचित का भेजा कोड कर देगा खाता खाली
सावधान:ऑनलाइन ठगी में नया हथियार बना क्यूआर कोड, अपरिचित का भेजा कोड कर देगा खाता खाली

ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा के लिए बनाए गए क्यूआर कोड को साइबर ठगों ने नया हथियार बनाया है। हजारों किलोमीटर दूर बैठकर मैसेज, ई-मेल के जरिये क्यूआर कोड भेजकर ठग लोगों का खाता खाली करने में लगे हैं।साइबर सेल के अनुसार बीते एक साल में क्यूआर कोड के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। एक अनुमान के तहत अकेले देहरादून में ही एक साल के भीतर करीब दो करोड़ रुपये की चपत क्यूआर कोड के माध्यम से लोगों को लग चुकी है। 
देहरादून के राजपुर रोड निवासी एक व्यक्ति को व्हाट्सएप संदेश मिला। व्हाट्सएप पर प्रोफाइल फोटो में उनके किसी परिचित की फोटो लगी थी। मैसेज भेजने वाले ने उन्हें पैसे भेजने को कहा। कहा कि यह पैसे वह अपने खाते से किसी दूसरे व्यक्ति को भेज दें। संदेश में एक क्यूआर कोड भेजा गया। क्यूआर कोड को जैसे ही स्कैन किया गया खाते से 25 हजार रुपये कट गए।
 व्यक्ति ने जब आपत्ति जताई तो कहा कि ओह...गलती हो गई यह पैसे मेरे पास आ गए। आप दोबारा स्कैन करो आपको वापस आ जाएंगे। लेकिन, फिर वही 25 हजार रुपये फिर कट गए। ऐसे करते करते लाखों रुपये खाते से कट गए। 
मोथरोवाला निवासी एक व्यक्ति ने अपनी कार को बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन अपलोड किया। उन्हें किसी का फोन आया और सौदा पक्का हो गया। व्यक्ति ने उन्हें क्यूआर कोड भेजा कहा कि स्कैन करेंगे तो पैसा आपके पास आ जाएगा। कार मालिक ने उसे स्कैन किया लेकिन पैसे आने के बजाय उसके खाते से दो लाख रुपये कट गए। हारा थका व्यक्ति साइबर थाने पहुंचा। गनीमत रही कि यहां खाता फ्रीज कराने के बाद 50 हजार रुपये उसके वापस करा दिए गए।
रोज तीन से चार शिकायतें
साइबर सेल में हर दिन कम से कम तीन से चार शिकायतें इस तरह की आ रही हैं। जिले की साइबर सेल प्रभारी नरेश राठौर ने बताया कि यह इन दिनों नया तरीका है। इससे ठग आसानी से लोगों को शिकार बना रहे हैं।
यही नहीं इससे अलग साइबर थाने को भी हर दिन कम से कम तीन से चार शिकायतें क्यूआर कोड से ठगी के संबंध में मिल रही हैं। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि क्यूआर कोड से होने वाली ठगी से बचा जा सकता है। लेकिन, इसके लिए पहले सब बातों का ध्यान रखना होगा। 
सिर्फ पेमेंट दिया जा सकता है 
जापानी कंपनी डेंसो वेव ने क्यूआर कोड का आविष्कार किया था। इसकी मदद से केवल भुगतान किया जा सकता है। यह एक तरह का बारकोड है, जिसे मशीन के जरिए पढ़ लिया जाता है। इससे आप बिजली, पानी, पेट्रोल, डीजल, किराना सामान, यात्र आदि का भुगतान इस माध्यम से कर सकते हैं।
इसलिए रहें सतर्क 
कई बार फिशिंग ईमेल, टेक्स्ट या फिर इंटरनेट के जरिए नकली क्यूआर कोड भेजा जाता है। फर्जी कोड को स्कैन करने पर यूजर को ओरिजनल की तरह दिखने वाले पेज पर ले जाया जाता है।
वहां पीआईआई (पर्सनल आइडेंटिफिएबल इंफॉर्मेशन) दर्ज करके लॉग इन करने के लिए कहा जाता है। यहां से आपकी संवेदनशील जानकारी को चोरी किया जा सकता है या फिर वायरस को भी डिवाइस में ट्रांसफर किया जा सकता है। एक बात ध्यान रखने वाली है कि बिना स्कैन इसके अंदर मौजूद जानकारी को पढ़ने का तरीका नहीं है।
ऐसे बरतें सावधानी 
- यदि भुगतान करने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग कर रहे हैं, तो भुगतान की पुष्टि करने से पहले आने वाले डायलॉग पर ध्यान दें। जल्दबाजी की तो नुकसान होगा। 
- क्यूआर कोड को एक लिंक की तरह ही मानें। अगर नहीं जानते हैं कि यह कहां से बना है तो स्कैन बिल्कुल न करें। 
- जब क्यूआर स्कैन करते हैं, तो इससे जुड़े यूआरएल को देखने के लिए एक पॉप-अप आता है। यदि कोई यूआरएल नहीं है या फिर एक छोटा लिंक (bit.ly के जैसा) दिखता है, तो सतर्क रहें।
- डिवाइस को सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर से हमेशा अपडेट रखें। यदि किसी भी गतिविधि पर संदेह है, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और लॉग इन आईडी को बदल दें। 
- यदि इनमें से कुछ भी आपके साथ होता है तो तो राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, साइबर सेल आदि को भी शिकायत की जा सकती है।