फास्टैग ने पूर्व सूचना आयुक्त को इतना परेशान कर दिया तो आम आदमी की कौन कहे

फास्टैग ने पूर्व सूचना आयुक्त को इतना परेशान कर दिया तो आम आदमी की कौन कहे
फास्टैग ने पूर्व सूचना आयुक्त को इतना परेशान कर दिया तो आम आदमी की कौन कहे

हम सब गड़करी जी से बहुत प्रभावित हैं. शांत सौम्य गड़करी जी को हम बहुत कुशल और ईमानदार मानते हैं. शायद हैं भी. 
लेकिन fastag की मेरी आपबीती भी सुन लीजिए:
१) मैंने देहरादून में एक गाड़ी ख़रीदी. चूँकि गाड़ी नम्बर मिलने में समय लगा इसलिए कम्पनी ने चैसी-नम्बर पर ही ICICI बैंक से Fastag बनवा लिया. 
2) कुछ दिन सब ठीक चला.
३) मैंने ICICI बैंक के ऐप से ये व्यवस्था भी कर ली कि टैग में बेलेंस जैसे ही दो सौ से कम होगा मेरे अकाउंट से ५०० रुपए निकलकर टैग में चले जाएँगे.
४) अब मैं आश्वस्त था कि अब टैग को लेकर कोई टेंशन नहीं रहेगी.
लेकिन:
१) फ़रवरी के पहले हफ़्ते में कोटद्वार से  दिल्ली आते हुए डासना और फिर एक अन्य प्लाज़ा पर टैग ने काम नहीं किया.
२) दोनों जगह दुगना टोल देना पड़ा.
३) ICICI fastag को दसियोंफ़ोन किए. हर बार मुझे यही कहा गया कि मेरे टैग में बेलेंस है.
४) यह भी कहा गया कि बेलेंस ऑटो रीचार्ज भी एक्टिवटेड है.
५) इस बीच Fastag का कंजयूमर सपोर्ट कहता रहा कि मेरा टैग ब्लैकलिस्ट है.
६) nhai में १०३३ में कम्पलेंट की
७) दो हफ़्ते में बीसियों फ़ोन करने के बाद NHAI ने बताया कि उनकी कोई गलती नहीं है. टैग ब्लैकलिस्ट है. क्यों?.. हमें क्या पता.!! बैंक से पूछो.
८) बैंक कहता रहा टैग में बेलेंस है, nhai कहता रहा ब्लैकलिस्ट है.
अब ICICI बैंक के चक्कर शुरू हुए:
१) सालों से मैं इस बैंक का प्रिवलेज कस्टमर हूँ..काहिली में ये अब SBI का भी बाप हो गया है.
२) तीन  कस्टमर रिलेशन मनेजरों के नम्बर खुद बैंक ने मुझे दिए हैं. तीनों में घंटी बजी. किसी ने नहीं उठाया. नाम तब बताऊँगा जब इस मामले में मुक़दमा करूँगा.
बहरहाल:
खूब भटकने के बाद पता चला कि जिस चैसी नम्बर पर मुझे टैग दिया गया था उसी नम्बर पर बैंक ने कलकत्ता में किसी और को टैग जारी कर दिया है.
ना nhai ने चेक किया ना बैंक ने. 
एक गाड़ी नम्बर पर एक ही बैंक से दो टैग जारी हो गए. ना जाने कैसा सोफ्टवेयर है..!!
अगर मैंने जान ना लड़ा दी होती तो इस नाटक का पता भी नहीं चलता.
NHAI ने तो ख़ैर कोई बात सुनी ही नहीं बैंक भी दौड़ाता रहा. 
आज जब नया Fastag बना है तो ये संदेश  भी आ गया है :
Your ICICI Bank FASTag linked to vehicle no. ....has been deactivated due to low balance. Please recharge your FASTag to continue using the services.
अरे भई, जब मैं कहीं गया ही नहीं तो बेलेंस ‘लो’ कैसे हो गया.
बैंक कह रहा है - हमें नहीं पता.
NHAI कह रहा है - सानु की…
राहत की बात, अगर है तो सिर्फ़ ये है कि मैं अकेला ये कष्ट नहीं झेल रहा. इस दौरान कम से कम दस और लोग इसी तरह रोते दिखे- ज़ाहिर है इनकी संख्या हज़ारों में तो होगी ही….
(वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड के पूर्व सूचना आयुक्त प्रभात डबराल की फेसबुक से साभार)