पर्यावरण संरक्षण के लिए मान सरकार के प्रयास, पराली जलाने के रुझान में कमी और सिंगल यूज प्लासिटक पर पाबंदी

पर्यावरण संरक्षण के लिए मान सरकार के प्रयास, पराली जलाने के रुझान में कमी और सिंगल यूज प्लासिटक पर पाबंदी

बीते वर्ष 2022 में पर्यावरण के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन सरकार की तरफ से निरंतर प्रयास किये गए। सरकार की कोशिशें सफल हुई जिसके अच्छे रुझान सामने आए। इसके इलावा आने वाले समय की योजनाएँ बनाईं गईं।

पंजाब के पर्यावरण और विज्ञान प्रौद्यौगिकी मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि धान की पराली को जलाने के रुझान को रोकने के लिए चलाई मुहिम को बड़ी सफलता मिली। इन सीटू और एक्स सीटू दोनों फ्रंट पर सरकार ने बड़े कदम उठाए। इसके नतीजे के तौर पर इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत आग लगने के मामलों में कमी दर्ज की गई। किसानों को सब्सिडी पर एक लाख से अधिक पराली प्रबंधन मशीनें बाँटी गई। पराली न जलाने वाले किसानों के सम्मान में विशेष प्रोग्राम आयोजित किये गए। ईंटों के भट्टों में 20 प्रतिशत कोयले के बदले धान की पराली की गांठों का प्रयोग यकीनी बनाने के निर्देश दिए गए। पंजाब में करीब 2000 ईंटों के भट्टों द्वारा धान की पराली को अपनाने से प्रति वर्ष 5 लाख टन धान की पराली का प्रयोग होगा।

पर्यावरण के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की तरफ से इस वर्ष सिंगल यूज प्लास्टिक आइटमों पर सख्ती से पाबंदी लागू की गई। धूरी में राज्य स्तरीय समागम के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य निवासियों को इन हुक्मों की पालना के लिए प्रेरित किया। सरकार की तरफ से पाबंदी के साथ-साथ जागरूकता मुहिम भी साथ-साथ चलाई जा रही है। पर्यावरण के क्षेत्र में अलग-अलग एजेंसियों/संस्थाओं के शानदार योगदान को मान्यता देने/इनाम देने के लिए शहीद भगत सिंह राज्य पर्यावरण पुरुस्कार की स्थापना की गई।

उद्योगों के अलग-अलग मुद्दों को हल करने के लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से चेयरमैन के नेतृत्व और उद्योगों/औद्योगिक ऐसोशीएशनों के सदस्यों की एक औद्योगिक सलाहकार कमेटी बनाई। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सभी छोटे स्तर के उद्योगों या संस्थाओं/अन्य अदारों ( जिनमें पूँजी निवेश 10 करोड़ रुपए से कम है) जो मनोनीत क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और जिन्होंने उन यूनिटों के संचालन के लिए बोर्ड से कभी सहमति नहीं ली है और बोर्ड के पुराने के तहत कभी भी सहमति फीस नहीं ली है, के लिए एक स्वैच्छिक खुलासा योजना (वीडीएस) बढ़ाने का फ़ैसला किया है। इसके अंतर्गत उद्योगों या संस्थाओं/अन्य अदारों को वर्ष 1992 से 31 अक्तूबर, 2018 तक 5000 रुपए की एकमुश्त काल्पनिक फीस के इलावा कोई भी फीस नहीं देनी पड़ेगी।