​कपिल सिब्बल का केंद्र से सवाल, जब नौकरशाह ही चलाएंगे सरकार तो दिल्ली को क्यों दी विधानसभा?

​कपिल सिब्बल का केंद्र से सवाल, जब नौकरशाह ही चलाएंगे सरकार तो दिल्ली को क्यों दी विधानसभा?

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की महारैली रविवार को रामलीला मैदान में समाप्त हो गई, लेकिन इस महारैली ने कई अहम सवाल उठाए हैं. इस पर केंद्र सरकार और अदालत को आने वाले दिनों में गौर फरमाना होगा? ऐसा इसलिए कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और देश के जाने माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने दिल्ली पर अधिकार किसका, को लेकर गंभीर प्रश्न उठाए हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि जब आपको एक चुनी हुई सरकार को जीरो ही बनाए रखना है, सीएम और मंत्रीमंडल के बदले केंद्र द्वारा नियुक्त ब्यूरोक्रैट के फैसले ही मान्य होंगे तो दिल्ली सरकार का क्या मतलब? अगर ऐसा ही है तो दिल्ली को विधानसभा क्यों दी, इस बात का फैसला पहले करना होगा? इसका फैसला लेने का अधिकार केवल अदालत के पास है. 

वरिष्ठ अधिवक्ता ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सवाल उठाया है कि दिल्ली को विधानसभा का दर्जा हासिल है. दिल्ली की इस हैसियत को केंद्र सरकार केवल एक अध्यादेश के जरिए समाप्त नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई बार कहा जा चुका है कि अध्यादेश के जरिए इस तरह से एक चुनी हुई सरकार को जीरो नहीं बनाया जा सकता. सीएम और मंत्रिमंडल को ब्यूरोक्रेसी के अधीन नहीं रख सकते. अगर ऐसा ही करना है तो चुनी हुई सरकार का क्या मतलब?

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा की मोदी सरकार ने एक अध्यादेश लाकर चुनी हुई सरकार को Zero कर दिया. इसका मतलब तो यह है कि आप एक चुनी हुई सरकार को चलने नहीं देना चाहते. जब से आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में आई है, आप को वो खटक रही है. आप को इस बात की टीस है कि दिल्ली की जनता आपकी क्यों नहीं सुनती? आप जनता को अपनी मर्जी से हांकना चाहते हैं. ऐसा कैसे हो सकता है?

पूर्व कांग्रेसी नेता ने अध्यादेश को महारैली में एक्सप्लेन करते हुए कहा कि अब जो दिल्ली की सियासी स्थिति है, उसमें इस बात पर फिर से गौर करना जरूरी है कि संविधान ने क्या कहा है? संविधान के मुताबिक दिल्ली की तीन चीजें केंद्र के क्षेत्राधिकार में हैं. ये तीन चीजें जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था है. इसके अलावा, केंद्र के पास कुछ नहीं है. इसके उलट केंद्र सरकार का प्रयास यह है कि वो सारी पावर अपने अंदर समेट लेना चाहती है. केंद्र चाहती है कि चुनी हुई सरकार को दिल्ली में जीरों बनाकर रख दें. इसी सोच के तहत केंद्र ने दिल्ली में अध्यादेश लागू किया है.