पंजाब में धान की खेती पर लगेगी रोक! बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी

पंजाब में धान की खेती पर लगेगी रोक! बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी

पंजाब में पराली जलाने से धुआं निकलता है। यह धुआं दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को धान की खेती के बजाय दूसरे विकल्प तलाशने की सलाह दी है

अब अगर पंजाब धान की फसल से हटकर अन्य फसलों की ओर रुख करता है तो इससे देश के विकास पर बड़ा असर पड़ सकता है। 2022-23 के मानसून सीज़न के दौरान, पंजाब ने केंद्रीय पूल के लिए खरीद के हिस्से के रूप में भारतीय खाद्य निगम (FCI) को 122.01 लाख मीट्रिक टन चावल का योगदान दिया।

विगत वर्षों में भी राज्य ने देश में चावल उपार्जन कार्यों में सर्वाधिक योगदान दिया है। जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब भी पंजाब ने केंद्रीय पूल में 135.989 एलएमटी और 125.48 एलएमटी चावल की आपूर्ति की। ऐसे में अगर पंजाब के किसान धान छोड़कर केसर की दूसरी फसल की ओर रुख करेंगे तो चावल की भारी कमी को पूरा करने की जिम्मेदारी दूसरे राज्यों पर आ जाएगी।

गौरतलब है कि मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में पराली जलाने और राज्य में गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताई और केंद्र सरकार से कहा कि वह पंजाब में धान का विकल्प ढूंढने पर गंभीरता से विचार करे। अगर पंजाब में धान की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो एक बड़ी आबादी के आहार से चावल खत्म हो जाएगा यानी आधी आबादी आधे पेट सोने को मजबूर हो जाएगी।