अमरिंदर सरकार में हुआ था घोटाला, विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर मान सरकार ने छह अधिकारियों को किया बर्खास्त

अमरिंदर सरकार में हुआ था घोटाला, विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर मान सरकार ने छह अधिकारियों को किया बर्खास्त

राज्य में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार ने 39 करोड़ रुपये के एससी पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल पाए गए छह अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चार अधिकारी सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग से थे और दो वित्त विभाग में काम करते थे।

बर्खास्त किए गए लोगों में उप निदेशक परमिंदर सिंह गिल; चरणजीत सिंह, उप नियंत्रक; मुकेश भाटिया, अनुभाग अधिकारी; राजिंदर चोपड़ा, अधीक्षक; और राकेश अरोड़ा और बलदेव सिंह, दोनों वरिष्ठ सहायक। चरणजीत और राकेश दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

बर्खास्तगी आदेश सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने पारित किया।

यह घोटाला कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में पूर्व सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के कार्यकाल के दौरान सामने आया था।

विभागीय जांच में कहा गया था कि अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति के वितरण के तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी की गई और कुछ निजी संस्थानों को अनुचित लाभ दिया गया। गड़बड़ी करने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया। 14 संस्थानों के दोबारा ऑडिट के लिए वित्त विभाग से मंजूरी लेने के बजाय, दोषी अधिकारियों ने उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अन्य संस्थानों के नाम जोड़े।

यह भी बताया गया था कि 16.91 करोड़ रुपये वित्त विभाग से स्वीकृति प्राप्त किए बिना नौ संस्थानों को वितरित किए गए थे।

अगस्त 2020 को पूर्व अपर मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक) कृपा शंकर सरोज ने छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता को लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपी थी।

जांच पूर्व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीआर बंसल ने की। जांच अधिकारी ने बताया था कि तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा रिकॉर्ड किए गए "नोटिंग पेज" रिकॉर्ड से गायब पाए गए थे।

जुलाई 2022 में सीएम मान ने अनियमितताओं की व्यापक जांच के आदेश दिए थे और छात्रवृत्ति घोटाले से संबंधित एक फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई थी।