उत्तराखंड: जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए रखे जाएंगे फसल रक्षक

उत्तराखंड: जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए रखे जाएंगे फसल रक्षक
CM Trivendra Singh Rawat (File Pic)

देहरादून: राज्य में वन्य जीवों से फसलों को होने वाला नुकसान को रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने राजस्व गांवों में फसल रक्षक तैनात करने का फैसला किया है। अमर उजाला की खबर के अनुसार स्थानीय स्तर पर युवाओं को यह काम दिया जाएगा और सरकार इन्हें एक निर्धारित मानदेय भी देगी। इसके लिए कैंपा फंड की मदद ली जाएगी। बता दें कि प्रदेश में बंदर, जंगली सुअर, लंगूर आदि फसलों को खासा नुकसान पहुंचातें हैं। इनका आतंक इतना बढ़ गया है कि कई स्थानों पर लोगों ने खेती करना तक छोड़ दिया है। मैदानी इलाकों में हाथी, सांभर, नील गाय आदि फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और इस वजह से मानव वन्यजीव संघर्ष में भी इजाफा होता है।
40 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार देने की तैयारी है
इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने यह योजना बनाई है। यह योजना कैंपा और जायका की मदद से योजना के तहत 40 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार देने की तैयारी है। इसी में फसल सुरक्षा को शामिल किया गया है, सरकार के मुताबिक करीब 10 हजार लोगों को इस योजना में शामिल किया जा सकता है।
लोग कई तरह से कर रहे फसलों की सुरक्षा
ऐसा नहीं है कि लोगों ने फसलों की सुरक्षा के लिए कोई कसर छोड़ी हुई है। कुमाऊं की सोमेश्वर घाटी में बंदर और जंगली सुअरों की निगरानी के लिए गांवों के लोगों ने बाकायदा रजिस्टर बनाए हुए हैं। इसमें दर्ज परिवारों को रोस्टर के आधार पर चौकीदारी करनी होती है। गडेरी के लिए मशहूर सोमेश्वर घाटी के लोग जंगली सुअरों की वजह से इस उपज से किनारा करने को भी विवश हैं।
बंदरों से महिला किसान अब ज्यादा परेशान
महिला एकता परिषद की मधुबाला कांडपाल के मुताबिक बंदर अब टोली के रूप में आते हैं और एक-दो महिलाओं के बस का नहीं होता कि इनसे पार पा सकें। कई गांवों में महिलाओं ने खुद अपने ऊपर चौकीदारी का जिम्मा भी लिया हुआ है। सरकार के स्तर से और भी योजनाओं पर काम हुआ है। बंदरों को मारने की अनुमति दी गई, लेकिन धार्मिक कारणों से यह योजना संभव नहीं हो पाई।
अब गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग प्राकृतिक बाड़े बनाने की योजना है और इसके लिए 19 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही चार और बंदर बाड़े बनाने का भी प्रस्ताव है। इसी तरह सोलर फेंसिंग, हाथी रोधी खाई और दीवार बनाने की योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है।
कैंपा, जायका आदि योजनाओं के जरिये तीन माह में 40 हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। वनाग्नि रोकने, मानव सुरक्षा, वन संरक्षण आदि के काम लोगों से लिए जाएंगे और उसके एवज में मानदेय दिया जाएगा। फसल सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में है और इसके लिए हर स्तर पर काम हो रहा है।
-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री