उत्तराखंड:ऑडिट में खुल रहीं कर्मकार बोर्ड घोटाले की हैरान करने वाली परतें

उत्तराखंड:ऑडिट में खुल रहीं कर्मकार बोर्ड घोटाले की हैरान करने वाली परतें
उत्तराखंड:ऑडिट में खुल रहीं कर्मकार बोर्ड घोटाले की हैरान करने वाली परतें

देहरादून: उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में चल रहे विशेष ऑडिट में बड़े पैमाने पर गड़बडझाले पकड़ में आ रहे हैं। शुरुआती जांच में यह साफ हो रहा है कि नियमों की धज्जियां उड़ाकर सरकारी पैसे की बंदरबांट की गई। जांच में एक और चौंकाने वाली बात चालकों को लेकर सामने आई है। बोर्ड के दफ्तर में अधिकारियों के लिए पांच गाड़ियां हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए नौ चालक भर्ती किए गए थे।
हरक सिंह को हटाने के बाद से चर्चा में है कर्मकार बोर्ड
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद से लगातार कर्मकार बोर्ड में हुईं गड़बड़ियों के मामले चर्चाओं में हैं। चूंकि बोर्ड में वर्ष 2017 से कोई ऑडिट नहीं हुआ था। मामला खुलने के बाद बोर्ड का एकाउंट जनरल (एजी) द्वारा ऑडिट शुरू कर दिया गया। ऑडिट में शुरुआत में ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां प्रकाश में आ रही हैं।
कर्मचारी कर रहे थे मंत्रियों के बंगलों पर काम
सूत्रों के मुताबिक कि जो 38 कर्मचारी हटाए गए हैं, उनमें से कई मंत्री और अधिकारियों के घरों पर काम कर रहे थे। चौंकाने वाली बात यह भी है कि बोर्ड का एक क्षेत्रीय कार्यालय कोटद्वार में खोला गया था, जिसमें इनमें से 18 कर्मचारियों को लगाया गया था। यह सभी कर्मचारी अलग-अलग जगहों पर काम करते हुए वेतन कर्मकार बोर्ड से ले रहे थे।जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि पूर्व के अध्यक्ष और सचिव ने जिसे मन आया, उसे भर्ती कर दिया। यानी भर्ती के लिए वित्त की स्वीकृति तक नहीं ली गई। लिहाजा, बोर्ड ने ऐसे 38 कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें नौकरी से हटा दिया है।
जल्द ही नई इमारत में शिफ्ट होगा कार्यालय 
कर्मकार बोर्ड जिस दफ्तर में चल रहा है, उसका किराया भी हर महीने चार लाख रुपये से ऊपर है। इस पर विवाद हुआ तो नए अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने यहां से कार्यालय हटाने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि बोर्ड के दफ्तर के लिए किराये पर कोई सरकारी इमारत तलाश की जा रही है।