उत्तराखंड: विधानसभा का सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित

उत्तराखंड: विधानसभा का सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित
उत्तराखंड: विधानसभा का सत्र अनिस्चित काल के लिए स्थगित

देहरादून: कोरोना संकट के बीच एक दिन के विधानसभा सत्र में सदन करीब तीन घंटे ही चला। इस दौरान सरकार ने 19 विधेयक पास कराए।  विधानसभा सत्र में जो भी थोड़ा बहुत विपक्ष था उसने जमकर हंगामा किया। सरकार पर मुख्य मुद्दों पर चर्चा न कराने का आरोप लगाते हुए वाकआउट किया। विपक्ष के हंगामे के चलते दो बार सदन स्थगित हुआ और ठीक शाम 4.20 पर सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। सरकार को अपने ही दो विधायकों के तल्ख तेवरों के कारण असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। 
विपक्ष की गैर मौजूदगी से हुई सत्र की शुरुआत
बुधवार को 11 बजे एक दिनी सत्र की शुरुआत ही विपक्ष की गैर मौजूदगी से हुई। किसान बिल के विरोध में ट्रेक्टर से विधानसभा पहुंचने की कोशिश में विपक्ष के पांचों विधायक करीब 20 मिनट देरी से सदन पहुंचे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, काजी निजामुद्दीन आदि ने सदन में पहुंचते ही कोरोना और प्राकृतिक आपदा के मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव को स्वीकार करने की मांग की।
यह प्रस्ताव स्वीकार न होने पर विपक्ष के सभी विधायक सोशल डिस्टेंसिंग को धता बताते हुए वेल में चले आए। नारेबाजी और शोर शराबे के बीच विपक्ष के सदस्यों ने कार्यसूची फाड़ डाली। जोरदार हंगामे के बीच सदन में 19 विधेयक रखे गए। फिर ठीक 12.30 पर सदन एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। एक बजे के बाद भी सदन बमुश्किल आधा घंटा ही चल पाया और फिर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष फिर वेल में पहुंचा और कोरोना पर काम रोको प्रस्ताव की मांग की। इस बीच विधेयक पारित होने शुरू हुए तो ठीक 3.40 पर विपक्ष के सभी विधायक सदन छोड़कर चले गए। इसके बाद विधेयक पारित हुए और कोरोना संकट पर चर्चा हुई, जिसमें सत्ता पक्ष के विधायक ही शामिल हुए। 4.20 मिनट पर सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
सत्ता पक्ष के दो विधायकों ने सरकार को परेशानी में डाला
अपने विधायकों ने दिखाए तल्ख तेवर
सत्ता पक्ष के विधायक पूरन फर्त्याल और राजेश शुक्ला के तल्ख तेवरों के कारण सरकार को सदन में असहज होना पड़ा। पूरण फर्त्याल ने जौलजीबी सड़क मामले को काम रोको प्रस्ताव के तहत उठाने की मांग की। इस पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है लिहाजा इस पर चर्चा नहीं हो सकती। वहीं, किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया तो पीठ की ओर से परीक्षण के आदेश के बाद सरकार को जांच स्वीकार करनी पड़ी।