अल्मोड़ा: स्यालदे का आदमखोर हो चुका गुलदार ढेर, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

अल्मोड़ा: स्यालदे का  आदमखोर हो चुका गुलदार ढेर, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
फोटो साभार jagran.com

अल्‍मोड़ा: जिले के स्याल्दे तहसील में आतंक के पर्याय बने आदमखोर गुलदार को आखिरकार ढेर कर दिया गया है। करीब एक सप्ताह पहले किमबगड़ तोक में इसी तेंदुए ने महिला को शिकार बना लिया था। क्षेत्र में लगातार हमले व बढ़ते मानव वन्यजीव टकराव के मद्देनजर उसे आदमखोर घोषित कर दिया गया था। विशेषज्ञ शिकारी जॉय हुकिल के साथ ही कुछ और शूटर भी बुलाए गए थे। मारे गए गुलदार की उम्र करीब 12 वर्ष बताई जा रही है। गुलदार के शव को जिला मुख्यालय लाया जा रहा है। 
जिले की स्याल्दे तहसील से करीब 25 किमी दूर बरंगल गांव में गुलदार मानव टकराव चरम पर पहुंच गया था। अभी तक 17 जनवरी की देर रात शांति देवी (50) पर आदमखोर तेंदुए ने हमला कर दिया था। 20 जनवरी को महिला का शव करीब 300 किमी दूर जंगल से बरामद किया गया था । डीएफओ महातिम सिंह यादव के निर्देश पर वन क्षेत्राधिकारी मोहन राम आर्या ने विभागीय शूटरों को लेकर विशेषज्ञ शिकारी जॉय हुकिल आदि के साथ बरंगल गांव डेरा डाल दिया था। पद चिन्हों के आधार पर आदमखोर गुलदार को कैद करने के प्रयास तेज कर दिए गए। लेपर्ड कोरिडोर पर मचान तैयार कर घटनास्थल व आसपास के इलाके में तीन पिजड़े लगा दिए गए थे।
दो दिन बाद मवेशी मारा तो आया निशाने पर
उसके क्षेत्र में इंसानी गतिविधियां बढ़ने पर गुलदार सतर्क हो गया था। दो दिन तक इलाके में उसकी धमक न के बराबर हो गई थी। मगर बीते मंगलवार को दोपहर उसने किमबगड़ में लगाए गए पिंजड़े के पास गाय को शिकार बनाने के बाद निचले भूभाग में एक गुफा में डेरा जमा दिया। ग्रामीणों की भीड़ जमा होने पर उसने गुफा छोड़ दी। रात करीब नौ बजे से शिकारी दल ने मुहिम शुरू की। सर्च लाइट की रोशनी में वह गुफा में नजर आया। इस पर हिमाचल प्रदेश से पहुंचे आशीष दास गुप्ता ने रात करीब 10:45 बजे आदमखोर गुलदार पर निशाना साधा जो बिल्कुल सही बैठा। आदमखोर गुलदार के मारे जाने से क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली। 
लगातार चार हमले कर चुका था
बीती 26 दिसंबर को ग्राम पंचायत बारंगल के ही तोक डोडियाल बाखल में त्रिलोक सिंह की पत्नी अंजू देवी पर गुलदार झपटा था। उसे लहूलुहान हालत में काशीपुर रेफर किया गया था। इसके बाद 30 दिसंबर को हीरा सिंह की पत्नी कमला देवी, सात जनवरी को जय सिंह की पत्नी तुलसी देवी भी हमले में घायल हो गई थी। मगर चौथे हमले में उसने शांति देवी को शिकार बना डाला था।