यहां मोमबत्ती की लौ पर गर्म हो रहे दूध पर पल रहा है उत्तराखंड और देश का भविष्य..!

यहां मोमबत्ती की लौ पर गर्म हो रहे दूध पर पल रहा है उत्तराखंड और देश का भविष्य..!
यहां मोमबत्ती की लौ पर गर्म हो रहे दूध पर पल रहा है उत्तराखंड और देश का भविष्य..!

पिथौरागढ़: जी हां यह सच है! उत्तराखंड का यह नवजात बच्चा यहां के स्वास्थ्य विभाग का जीवन्त सबूत है। यही सच्चाई है उत्तराखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की। कितनी सरकारें आईं और गईं लेकिन उत्तराखंड के स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की स्थिति की हालत आज भी वही है जो दशकों पहले थी। अब तो शायद उत्तराखंड के निवासी इसे ही अपनी नियति मान चुके हैं। पिथौरागढ़ के जिला महिला अस्पताल में भारत ही नहीं बल्कि नेपाल से बड़ी संख्या में रोगी आते हैं। प्रतिदिन करीब चार से पांच सामान्य और दो से तीन सिजेरियन प्रसव होते हैं। सामान्य प्रसव वालीं महिलाओं को तो एक या दो दिन में घर भेज दिया जाता है लेकिन सिजेरियन प्रसव वाली महिलाओं को एक सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ऐसे में सिजेरियन महिला के भर्ती रहने के दौरान नवजात बच्चे की देखरेख तीमारदार करते हैं।कुछ मामलों में नवजात बच्चे मां का दूध नहीं पीते हैं। ऐसे शिशुओं को तीमारदार चम्मच या रुई के फाहे से गाय का दूध पिलाते हैं। जाड़ों में दूध ठंडा हो जाता है। जिला महिला अस्पताल के किसी भी वार्ड में नवजात बच्चों के लिए दूध गर्म करने की व्यवस्था नहीं है। बच्चे को भूख लगने पर तीमारदार या महिलाएं मोमबत्ती के सहारे दूध गर्म कर बच्चों को दूध पिलाती हैं। ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
महिला अस्पताल के पास में कैैंटीन के भी नहीं होने से उन्हें मोमबत्ती जलाकर ही दूध गर्म करना पड़ता है। रात में इस तरह की परेशानियां अधिक उठानी पड़ती हैं। इसके बाद भी सीमांत की महिलाओं का दर्द आज तक किसी को नहीं दिखा है। लोगों का कहना है कि कम से कम नवजात बच्चों के लिए दूध गर्म करने के लिए प्रत्येक वार्ड में हीटर या इलैक्ट्रिक कैटल की व्यवस्था होनी चाहिए।

अल्ट्रासाउंड बंद होने से परेशान हैं महिलाएं
पिथौरागढ़ महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड बंद होने से महिलाएं परेशान हैं। पहले महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए पिथौरागढ़ महिला अस्पताल आना पड़ता है। यहां आपातकाल में पांच से सात महिलाओं की अल्ट्रासाउंड के लिए जिला अस्पताल भेजा जाता है। इसके बाद यहां महिलाओं के अल्ट्रासाउंड होते हैं। महिलाओं को समय पहले महिला फिर जिला अस्पताल में आने जाने में ही बीत जाता है।