देवस्थानम बोर्ड पर तीरथ के फैसले से गदगद सुब्रमण्यम स्वामी, कही यह बात

देवस्थानम बोर्ड पर तीरथ के फैसले से गदगद सुब्रमण्यम स्वामी, कही यह बात

देहरादून:  उत्तराखंड (Uttarakhand ) के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने शुक्रवार को पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के एक बड़े और विवादित फैसले को पलट दिया। विश्व हिंदु परिषद (VHP) के सम्मेलन में तीरथ सिंह रावत ने राज्य के 51 मंदिरों को चार धाम देवस्थानम बोर्ड के प्रबंधन से मुक्त करने की घोषणा की। साथ ही कहा कि बोर्ड के गठन को लेकर भी पुनर्विचार किया जाएगा। इन मंदिरों में चार धाम के नाम से जाने जाने वाले बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे प्रमुख मंदिर भी शामिल हैं।
स्वामी ने बताया हिंदुओं की जीत
तीरथ सिंह रावत के इस फैसले का बीजेपी नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी स्वागत किया और इसे हिंदुंओं के लिए बड़ी जीत बताया है। स्वामी ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, ' यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी का भविष्य अन्य पार्टियों के मुकाबले बेहतर है। मैं पार्टी की तभी खुलकर आलोचना करूंगा जब वह स्थापित नीति से विचलित होगी। जब गडकरी और राजनाथ अध्यक्ष थे तब हम सार्वजनिक मंचों पर बात कर सकते थे। लेकिन अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद चीजें बदल गई हैं।' ये भी पढ़ें:सड़क पर संग्राम :महाराज के खिलाफ सड़क पर महापंचायत करेंगी 14 गांवों की महिलाएं
स्वामी गए थे कोर्ट
बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने इस फैसले का मुखर विरोध किया था और इस फैसले को उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हालांकि वहां से उनको कोई राहत नहीं मिली थी। उत्तराखंड सरकार के इस फैसले का खूब विरोध भी हुआ था। तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस अधिनियम उनके हितों पर कुठाराघात बताते हुए कहा था कि बोर्ड का गठन किया गया तो तब भी उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। ये भी पढ़ें:उत्तराखंड: बच्ची जन्मी तो पकड़ा गया मानसिक दिव्यांग युवती का गुनहगार
त्रिवेंद्र रावत ने किया था ये फैसला
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गठित देवस्थानम बोर्ड हिमालयी चारधाम के नाम से प्रसिद्ध बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के गठन का प्रबंधन देखता है। राज्य विधानसभा में दिसंबर, 2019 में कानून के जरिए गठित देवस्थानम बोर्ड का साधु संत और तीर्थ पुरोहित पुरजोर विरोध कर रहे थे और उनका मानना है कि इसकी वजह से उनके पारंपरिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। राज्य की कमान संभालने के साथ ही तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि  देवस्थानम बोर्ड पर फिर से विचार किया जाएगा।

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