उत्तराखंड में इस गांव के ग्रामीणों ने सड़क पर बहा दिया दूध, वजह हैरान कर देगी!

उत्तराखंड में इस गांव के ग्रामीणों ने सड़क पर बहा दिया दूध, वजह हैरान कर देगी!
चम्पावत: जिले के चैकुनी बोरा के ग्रामीणों को दूध सड़कों पर बहाना पड़ा है।

चम्पावत: जिले के चैकुनी बोरा के ग्रामीणों को दूध सड़कों पर बहाना पड़ा है। जिस दूध से इस गांव के ग्रामीण अपनी आजीविका कमाते हैं आखिर उसे सड़क पर बहाने की क्या मजबूरी आ पड़ी। दरअसल कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए जिला प्रशासन ने चंपावत जिले के चैकुनी बोरा गांव को माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बना रखा है। इसकी पाबंदियों को लेकर लोग आजिज आ गए हैं। गांव में ही कैद हो जाने से ग्रामीण न तो रोजगार कर पा रहे हैं और न ही दूध बेच पा रहे हैं। बता दें कि दूध बेचकर आजीविका कमाना इस गांव के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है। चंपावत बाजार के लिए बड़ी मात्रा में दूध इस गांव  जाता है। अब पाबंदी लगने से प्रशासन के रुख का विरोध करने के लिए ग्रामीणों ने रविवार को पूरा दूध सड़कों पर बहा दिया।
बता दें कि कुछ लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए गए जिला मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम चैकुनी के लोग अब प्रशासनिक पाबंदियों से तंग आ चुके हैं। गांव के लोगों के बाहर जाने पर रोक लगाए जाने के वजह से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरी आदि न कर पाने से जहां उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं अब उनके पास खाने तक का राशन नहीं बचा है।
ग्रामीणों का कहना है कि कहा कि जब वह दूध बेच ही नहीं सकते तो इतने दूध का क्या करें, इसलिए वह दूध को बहा दे रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि पिछले कई दिनों से उनका दूध नहीं बिक रहा है। अब उनके पास दूध रखने के लिए बर्तन भी नहीं बचे हैं। ऐसे में वे करें तो क्या करें। वहीं ग्राम प्रधान निर्मला महर का कहना है कि गांव में अधिकांश परिवार गरीब और मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले हैं। उन्होंने अपने स्तर से हरसंभव मदद की है। अब वह भी लाचार हैं।
अगर प्रशासन गांव वालों की मदद के लिए आगे नहीं आता है तो वह इस्तीफा देने को विवश होंगी। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता महेश सिंह महर का कहना है कि चैकुनी गांव में की गई सैंपलिंग में सबकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। गर्भवती महिला व एक अन्य पाॅजिटिव ठीक होकर घर आ चुके हैं। अब प्रशासन को गांव में लगी पाबंदी हटा लेनी चाहिए। ताकि लोग रोजी रोटी कमान के लिए मजदूरी करने इधर उधर जा सकें।ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया है कि सैंपलिंग के बाद जब सबकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई है तो उनका दूध क्यों नहीं खरीदा जा रहा है।
दूध बहा कर विरोध प्रदर्शन करने वालों में नवीन सिंह, महेश सिंह, भीम सिंह, मोहन सिंह, राजेंद्र सिंह, सुनीता बोहरा, नैना बोहरा, किरन बोहरा, करन सिंह आदि शामिल रहीं।