नहीं रहे भारत के अनमोल ‘रतन’, 86 की उम्र में रतन टाटा का निधन, अंतिम दर्शनों के लिए लगी भीड़, शाम को अंतिम संस्कार
भारत ने अपना अनमोल ‘रतन’ खो दिया है। भारतीय उद्योग जगत की बड़ी हस्ती सबसे बड़े दिलदार, अपनी संस्कृति और सभ्यता और भारत को हमेशा खुशहाल बनाने के काम में जुटे रहने वाले टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने मुंबई की ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार रात 11 बजे 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। रतन टाटा उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन की ख़बर आते ही पूरा देश ही ग़मगीन है। क्योंकि रतन टाटा के रूप में हमने अपना ‘कोहीनूर’ जो खो दिया है।
रतन टाटा का पार्थिव शरीर नरीमन प्वॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है। यहां लोग शाम 4 बजे तक उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। शाम के वक्त पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पारसी होने के नाते पारसी धर्म के मुताबिक ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। लेकिन क्योंकि रतन टाटा को हम किसी एक धर्म में बांधकर नहीं देख सकते, इसलिए उनके लिए हर धर्म के अनुसार अरदास की गई।
रतन टाटा को 7 अक्टूबर को भी आईसीयू में भर्ती किए जाने की ख़बर थी लेकिन उन्होंने खुद इसका खंडन किया और कहा था कि वो ठीक हैं और रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।
रतन टाटा पद्म विभूषण पद्म भूषण से सम्मानित थे ।
उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और देश-विदेश की अन्य बड़ी हस्तियों ने गहरी संवेदना प्रकट की।
टाटा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि हम अत्यंत दुख के साथ रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं, समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं ज्यादा थे। मेरे लिए वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संदेश में लिखा कि भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है।
पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में लिखा कि टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक टाटा ग्रुप को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया।
राहुल गांधी ने भी रतन टाटा को याद करते हुए लिखा कि रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने बिजनेस और परोपकार दोनों पर कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ी है। उनके परिवार और टाटा कम्युनिटी के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।
भारत के बड़े बिजनेसमैन्स में से एक मुकेश अंबानी ने कहा कि ये भारत के लिए बहुत दुखद दिन है। रतन टाटा का जाना ना सिर्फ टाटा ग्रुप, बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ा नुकसान है। व्यक्तिगत तौर पर रतन टाटा का जाना मुझे बहुत दुख से भर गया है, क्योंकि मैंने अपना दोस्त खो दिया है।
गौतम अडानी ने कहा कि भारत ने एक महान और दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है। टाटा ने मॉडर्न इंडिया के पाथ को रीफाइन किया। टाटा सिर्फ एक बिजनेस लीडर नहीं थे, उन्होंने करुणा के साथ भारत की भावना को मूर्त रूप दिया।
आनंद महिंद्रा ने कहा कि मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। रतन टाटा को भुलाया नहीं जा सकेगा, क्योंकि महापुरुष कभी नहीं मरते।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने रतन टाटा से मुलाकात के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि टाटा से पिछली मुलाकात के दौरान उनका विजन सुनना मेरे लिए प्रेरणादायक था। वे असाधारण बिजनेस लीगेसी छोड़ गए हैं। उन्होंने भारत में मॉडर्न बिजनेस लीडरशिप को मार्गदर्शन देने और डेवलेप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक्टर अनुपम खेर ने कहा कि लगता था कि रतन टाटा हमेशा रहेंगे। उन्होंने कहा कि आप कुछ लोगों से मिलतने नहीं हैं, लेकिन उनका एहसास देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, चैरिटी इंस्टीट्यूशंस में नजर आता है। आज देश ने अपना एक रत्न खो दिया है। रतन टाटा से अपनी मुलाकात के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरी उनसे मुलाकात कुछ साल पहले लंदन में हुई थी। बकिंघम में उनका एक होटल है। 5-7 मिनट की बातचीत में वे बोले कि मुझे आपकी कॉमेडी पसंद है। आप किसी को अपना आदर्श बनाना चाहते हैं तो रतन टाटा उसमें सबसे ऊपर आएंगे। हमारे यहां एक बात कही जाती है-अपने आपको टाटा-बिड़ला समझता है। अनुपम खेर ने कहा कि रतन ऐसे टाटा हैं, जिन्हें कोई टाटा नहीं करना चाहेगा।