प्रदेश को संवैधानिक संकट के संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने की मांग 

प्रदेश को संवैधानिक संकट के संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने की मांग 
प्रदेश को संवैधानिक संकट के संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने की मांग 

नई टिहरी। कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर प्रदेश को संवैधानिक संकट के संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने की मांग करते हुये राज्य की विभिन्न परिस्थितियों से भी अवगत कराया। राज्यपाल को लिखे पत्र में उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री को शपथ लेने के दिन से 6 माह के भीतर राज्य के सर्वोच्च सदन की सदस्यता की शपथ लेनी है, लेकिन उसकी संभावनायें तो दिन-प्रतिदिन क्षीण होती जा रही हैं। तो क्या ऐसे में राज्य एक संवैधानिक संकट की ओर अग्रसर हो रहा है। जिससे जनता में उवाफोह की स्थिति है। संविधान की आत्मा व भावना को देखते हुये प्रदेश की जनता को इस उवाफोह व संशय की स्थिति से निजात देने का काम होना चाहिए।

प्रदेश की स्थिति से अवगत कराते हुये कहा कि उत्तराखंड बनने में संघर्ष की गाथा है। जिसमें यहां पर सरकारी दमन के साथ ही महिलाओं को जुझना पड़ा। 2000 में राज्य बना, लेकिन तासीर नहीं बदली। लगातार उत्तराखंड की जनता को राज सत्ता के गहरे घाव मिलते रहे हैं। राज्य निर्माण के मकसद से भटक गये हैं। जल संपदा हम से छीन ली गई है। अंतरिम सरकार में दो मुख्यमंत्री बनना राज्य की नींव को गड़बड़ा गई है। भ्रष्टाचार, महंगाई व बेरोजगारी प्रदेश की स्थिति को ओर अधिक चिंताजनक बना रहा है।