शहरों को रौशन करने को डूब गया लोहारी गांव,डूबती जनमभूमि को अपलक निहारतीं रह गईं सैलाब भरीं आखें

शहरों को रौशन करने को डूब गया लोहारी गांव,डूबती जनमभूमि को अपलक निहारतीं रह गईं सैलाब भरीं आखें
शहरों को रौशन करने को डूब गया लोहारी गांव,डूबती जनमभूमि को अपलक निहारतीं रह गईं सैलाब भरीं आखें

देहरादून: जिले के कालसी क्षेत्र में सोमवार को 120 मेगावाट क्षमता वाली लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोहारी गांव जलमग्न हो गया। इस दौरान माहौल भावुक हो गया। अपने पैतृक गांव झील की गहराइयों में बांध प्रभावितों की सुनहरी यादें, संस्कृति और खेत-खलिहान गुम हो गए। ऊंचे स्थानों पर बैठे ग्रामीण दिनभर भीगी आंखों से अपने पैतृक गांव को जल समाधि लेते देखते रहे। ग्रामीणों की मांग थी कि उन्हें आखिरी बिस्सू पर्व पैतृक गांव में ही मनाने को कुछ वक्त दिया जाए, लेकिन सभी को 48 घंटे के नोटिस पर गांव खाली करना पड़ा।
देहरादून जिले के लोहारी गांव में यमुना नदी पर बनी इस रन आफ रिवर जल विद्युत परियोजना से सालाना 330 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होना है। इन दिनों झील में जल स्तर बढ़ाया जा रहा है। अभी दो मीटर पानी और बढ़ाया जाना है। डूब क्षेत्र में आने के कारण ग्रामीणों को गांव खाली का नोटिस दिया गया था।
जल विद्युत निगम की ओर से उन्हें सामान व उपज ढोने के लिए वाहन भी मुहैया कराए गए थे। हालांकि, गांव खाली होने के बावजूद सोमवार को विस्थापित आसपास ऊंचे स्थानों पर बैठकर अपनी सुनहरी स्मृतियों को झील में समाते देखते रहे।
बांध विस्थापित नरेश चौहान, दिनेश चौहान, सुखपाल तोमर, यशपाल चौहान, कुंवर सिंह, राजेंद्र तोमर, रमेश चौहान, रणवीर सिंह, विक्रम सिंह, सोहन लाल, विजय चौहान, सोहनलाल तोमर, प्रवीण तोमर, ब्रह्मी देवी, आशा चौहान, सुनैना चौहान, रेखा चौहान, रेखा देवी, बिज्मा तोमर, रोशनी चौहान, विमला देवी, सुचिता चौहान, विमला चौहान, गुल्लू देवी, मीरा चौहान आदि का आरोप था कि शासन-प्रशासन व जल विद्युत निगम ने पुनर्वास किए बगैर ही उन्हें गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
विस्थापितों ने बताया कि उन्होंने गेहूं की फसल तो काट ली थी, लेकिन टमाटर, मटर, आलू, प्याज व लहसुन के लहलहाते खेत ऐसे ही छोड़ने पड़े। पैतृक गांव को डूबता देख महिलाओं के आंसू तो थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उधर, उपजिलाधिकारी कालसी सौरभ असवाल ने बताया कि प्रशासन की ओर से बांध विस्थापितों के लिए रहने की व्यवस्था की गई है। लेकिन, ग्रामीण वहां जाने को तैयार ही नहीं हैं।
लखवाड़-व्यासी परियोजना : एक नजर
120 मेगावाट की लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना के लिए आवश्यक सभी स्वीकृतियां प्राप्त करने के बाद वर्ष 2014 में परियोजना पर दोबारा कार्य शुरू हुआ। दिसंबर 2021 में परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण कर उसकी कमिशनिंग की जानी थी, लेकिन तमाम जटिलताओं के चलते कमिशनिंग में देरी हुई। 1777.30 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के डूब क्षेत्र में सिर्फ लोहारी गांव ही आ रहा था।
गांव के 66 विस्थापित परिवारों को चिह्नित कर शासन-प्रशासन ने उन्हें मुआवजा भी बांट दिया है। परियोजना का बांध स्थल जुड्डो व विद्युत गृह हथियारी गांव में है। लखवाड़-व्यासी परियोजना के अधिशासी निदेशक राजीव अग्रवाल के बताया कि यमुना नदी पर बनी इस परियोजना में हिमाच्छादित क्षेत्र को मिलाकर जलग्रहण क्षेत्र 2100 वर्ग किमी और हिमाच्छादित जलग्रहण क्षेत्र 60 वर्ग किमी है। कुल डिजाइन डिस्चार्ज 120 क्यूमेक्स है।