उत्तराखंड: सड़क खुलवाने धारी देवी की शरण में पहुंचे पीडब्ल्युडी के अफसर

उत्तराखंड: सड़क खुलवाने धारी देवी की शरण में पहुंचे पीडब्ल्युडी के अफसर
..जब सड़क खुलवाने धारी देवी की शरण में पहुंचे पीडब्ल्युडी के अफसर

देहरादून: बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में इन दिनों ऑलवैदर का काम चल रहा है। भारी मशीनों से हिमालय के कच्चे पहाड़ों को काट कर बनाई जा रही यह सड़क जगह-जगह भूस्खलन की चपेट में आ रही है। खबर है कि इससे परेशान होकर पीडब्लूडी राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने पिछले दिनों धारी देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की। बता दें कि ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के बीच ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट कार्य अंतिम चरण में है। 90 फीसदी राजमार्ग का चौड़ीकरण होने के बाद डामरीकरण भी हो चुका है लेकिन इस साल जगह-जगह बादल फटने, अतिवृष्टि होने और भूस्खलन होने से राजमार्ग बार-बार अवरुद्ध हो रहा है। इससे जनता तो परेशान है ही, पीडब्लूडी का भी काफी नुकसान हो रहा है। पिछले दिनों श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच अतिवृष्टि के कारण नरकोटा में राजमार्ग बंद रहा। इससे पहले कलियासौड़ के पास बादल फटने से कल्वर्ट और पुस्ते बह गए थे। वहीं 10 दिन पहले तोताघाटी में चट्टान ही गिर गई थी। इससे परेशान पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा ने मंगलवार को धारी मंदिर में पूजा-अर्चना की। वहीं 2020 में भी जब श्रीनगर से करीब 57 किमी दूर ऋषिकेश की ओर तोताघाटी में कई महीने काम करने के बाद जब राजमार्ग नहीं खुल रहा था और कई मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं थी तो पीडब्लूडी ने अक्तूबर 2020 में क्षेत्र की देवी चमराड़ा देवी की शरण ली थी। पीडब्लूडी और ठेकेदार ने तोताघाटी में नया मंदिर बनाने का संकल्प लिया। इसके कुछ दिन बाद राजमार्ग खुल भी गया था।
सिद्धपीठ हैं धारी और चमराड़ा देवी
श्रीनगर से करीब 14 किमी दूर कलियासौड़ में अलकनंदा नदी के ऊपर सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर है। मंदिर बदरीनाथ-राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 500 मीटर पैदल रास्ते पर है। यहां माता की काली रूप में पूजा की जाती है। धारी देवी को मनोकामना पूर्ण करने वाली माना जाता है। पुजारी विवेक पांडे का कहना है कि धारी देवी की प्रतिमा द्वापर युग से स्थापित है। यहां आदी गुरु शंकराचार्य, टिहरी के राजा और गोरखा राजा देवी को भेंट चढ़ा चुके हैं।
वहीं, चमराड़ा देवी का मंदिर टिहरी जिले की भरपूर पट्टी के कुर्न गांव में स्थित है। पंडित सुभाष मिश्रा का कहना है कि स्कंदपुराण के केदारखंड में वर्णन है कि यहां माता दुर्गा ने गर्धावद राक्षस का संहार किया था। यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से आता है, देवी उसकी मनोकामना पूर्ण करती है।

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