भेड़ एवं ऊन बोर्ड घोटाले पर पशुपालन सचिव ने दी सफाई, जानिए क्या कहा सफाई में?

भेड़ एवं ऊन बोर्ड घोटाले पर पशुपालन सचिव ने दी सफाई, जानिए क्या कहा सफाई में?
भेड़ एवं ऊन बोर्ड घोटाले पर पशुपालन सचिव ने दी सफाई, जानिए क्या कहा सफाई में?

देहरादून: उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में सांसद मेनका गांधी द्वारा भारी धांधली के आरोप और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जांच बिठाने के बाद अब राज्य के पशुपालन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अपना सफाई दी है। 
क्या कहना है पशुपालन सचिव?

  • पूरे पशुपालन विभाग का बजट भी तीन हजार करोड़ रुपये नहीं है। इसलिए भाजपा सांसद को किसी ने गुमराह किया है। जब उनके सामने पूरे तथ्य रखे जाएंगे, तो उन्हें सही स्थिति पता लग जाएगी।
  • सचिव पशुपालन ने कहा कि जो योजना चल रही है वह एनसीडीसी की है, जिसका पांच साल के लिए कुल बजट 169 करोड़ रुपये का है। इसमें से अभी केवल 25 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से भी सात करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे पशुपालकों को बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 
  • इसी योजना में बकरी के बच्चे पैदा होने पर बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदा जाता है। इसी योजना के अंत में मीट बेचा जाता है। जहां तक पशु चारे का सवाल है तो उसकी जांच के लिए समिति गठित हो चुकी है। 
    बोर्ड के सीईओ पर अवैध तरीके से संपत्ति खरीदने का मामला कार्मिक एवं सतर्कता विभाग का है। इस पर सीईओ ने अपना पक्ष भी रखा है। 
  • जहां तक मरीनो भेड़ की खरीद का सवाल है तो कुल खरीदी गई भेड़ों में से 550 प्रजनन कर चुकी हैं। यह योजना काफी विस्तृत है। इसमें तकरीबन आठ वर्ष बाद ऊन के लिए राज्यों को दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

क्या था मामला?
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने हाल ही में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पत्र भेजकर उनका ध्यान भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में वित्तीय अनियमिताओं की ओर आकर्षित करा कर जांच की मांग की थी। मामले की जांच के आदेश सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दे दिए हैं। बता दें कि सांसद और पूर्व केन्देरीय मंत्री ने बोर्ड के सीईओ पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही विभागीय सचिव की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाया था। 
पत्र में लगाए गए आरोप

  • पशुआहार खरीद तय से कहीं अधिक दरों पर की गई।
  • बोर्ड में कुछ लोग बगैर पद सृजन के भी प्रतिनियुक्ति पर रखे गए हैं।
  • ढाई लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन पर बोर्ड में कंसल्टेंट रखा गया है। यह कंसल्टेंट के तय वेतन से कहीं अधिक है और इसकी स्वीकृति भी नहीं ली गई है।
  • आस्ट्रेलिया से मंगाई गई मरीनो भेड़ों की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए गए। 
  • बोर्ड के सीईओ पर लक्जरी कार के हिसाब से कई कार खरीदने के साथ ही नोएडा में घर खरीदने की बात भी कही गई है।
  •  साथ ही कहा गया कि सीबीसीआइडी, सीबीआइ व ईडी की जांच के लिहाज से यह प्रकरण एकदम सही है।
  • पत्र में भेड़ एवं ऊन विकास योजना को तत्काल बंद करने का सुझाव भी दिया गया है। इस शिकायत पर बीते बीते बुधवार को मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश भी दिए थे।