जब कोई कहे 'डीजीपी तो हमारे भाई हैं, ख़ास भइया हैं... तो..!

जब कोई कहे 'डीजीपी तो हमारे भाई हैं, ख़ास भइया हैं... तो..!
जब कोई कहे 'डीजीपी तो हमारे भाई हैं, ख़ास भइया हैं... तो..!

 देहरादून: प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार अपने विशेष कार्यशैली के लिए अक्सर चर्चा मे रहते हैं। उत्तराखंड पुलिस को और अधिक मानवीय चेहरा देने के लिए भी उनके प्रयास जारी हैं। पुलिसकर्मियों के हित में भी उन्होंने कई कदम उठाए हैं। आज उन्होंने साथी पुलिसकर्मियों के लिए विशेष संदेश दिया है। पढ़े कहा है उन्होंने-

"साथी पुलिसकर्मी कृपया ध्यान दें..
कभी कभी कुछ लोग आपके सामने कह सकते हैं कि-
 -“डीजीपी तो हमारे भाई हैं, ख़ास भइया हैं...”
-“डीजीपी से तो हमारे बेहद घरेलू रिश्ते हैं”,
-“ डीजीपी के यहाँ हमारा आना जाना है, उनके यहाँ रोज़ का उठना बैठना है”, 
डी जी पी हमारे गांव के हैं 
आदि आदि...
साथियों, जब भी कोई इस तरह की बातें करे तो कृपया सतर्क  हो जाएँ। सामान्यतः ऐसा कहने वाला शख़्श आपको अपने प्रभाव में लेना चाह रहा है और हो सकता है कि वह आपसे अनुचित लाभ लेने / अवैध काम कराने का भी प्रयास कर रहा हो। अत: आप से अनुरोध है कि कृपया ऐसे लोगों के जाल में बिल्कुल ना फँसें...
साथियों, मैं आपको बड़े ही सरल शब्दों में यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि प्रदेश में न तो कोई मेरा भाई है, न कोई मेरा ख़ास है, और न ही यहाँ कोई मेरा रिश्तेदार है। मेरे सबसे नजदीक मेरे पुलिस वाले ही हैं। इसलिए कोई ऐसा बोले तो बोलिये कि ठीक है, हमारे डी जी पी हमारे भी हैं । इसलिए उनके दबाव में न आएं और वही करें जो सही है,  गलत बिल्कुल भी ना करें।हाँ इतना ज़रूर है कि यहाँ के सभी सम्भ्रांत जनों को मेरी नीयत और मेरी कार्य प्रणाली पर पूरा भरोसा है, जिसके कारण वे लोग जनहित के मद्देनज़र मुझे सभी ज़रूरी सूचनाएँ देते रहते हैं, जिन पर मैं पूरी निष्ठा से काम करता रहता हूँ। आप सभी को ध्यानपूर्वक सुनें और उनकी कानून के दायरे में मदद करें.. ! जय हिन्द !!

(अशोक कुमार आईपीएस की फेसबुक वॉल से साभार)