अब तो धमकी देने पर उतर आए हैं हरीश रावत: किशोर उपाध्याय

अब तो धमकी देने पर उतर आए हैं हरीश रावत: किशोर उपाध्याय

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एक बार फिर से पूर्व सीएम हरीश रावत पर हमला बोला। इस बार किशोर ने रावत की 20 नवंबर की सोशल मीडिया पोस्ट का उल्लेख करते हुए रावत पर धमकी देने का आरोप भी लगा डाला है। वष्र 2017 में सहसपुर से चुनाव लड़ाने ओर साजिशन हराने के के आरोपों पर रावत ने यह पोस्ट की थी।
इसमें उन्होंने परोक्ष रूप से कहा था कि किशोर की इच्छा से ही सहसपुर का टिकट दिया गया था। साथ ही उन्होंने लिखा था कि “कद्दू छुरी में गिरे या छुरी, कद्दू में गिरे” और देखते हैं कहां तक संयम साथ देता है। किशोर का कहना है कि इन शब्दों का मर्म समझिए। अब धमकी देने पर भी आ गए हैं। किशोर ने पीडीएफ के खिलाफ न बोलने के हाईकमान के दबाव का उल्लेख करते हुए कहा कि कि वर्ष 2012 में 377 वोट से हारने के बाद मैं कांग्रेस सरकार बनाने में जुट गया।
बसपा विधायकों से संपर्क किया। एक निर्दलीय विधायक का समर्थन कांग्रेस के लिए जुटाया। सरकार बनने के बाद जब जब मैं अपने परंपरागत टिहरी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय होता तो दिल्ली से संदेश आता कि सरकार निर्दलियों पर टिकी है। सरकार गिर जायेगी। इसलिये आप टिहरी में दखलंदाजी न करिये। फिर आगे जब हरीश रावत जी ने टिहरी विधायक को मंत्री बनाया तो मुझे जानकारी तक नहीं दी। मुझे मीडिया से इसकी जानकारी मिली। सोचिए मेरी क्या मनोदशा हुई होगी?
आखिर क्या चल रहा है किशोर के मन में
ऐन चुनावी वक्त में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के तल्ख तेवरों के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। पूर्व सीएम रावत से किशोर का बैर वर्ष 2016 के राज्यसभ चुनाव से चला आ रहा है। जब किशोर के प्रबल दावे के बावजूद रावत के करीब प्रदीप टम्टा को टिकट दे दिया गया था। अभी एक पखवाड़े से किशोर रावत पर लगातार हमलावर हैं। घसियारी कल्याण योजना पर कांग्रेस के विरोध को भी किशोर गलत ठहरा चुके हैं।

ये रही किशोर उपाध्याय की पूरी पोस्ट

"अपने बड़े भाई श्री हरीश चन्द्र सिंह रावत जी सम्भवतः झिझक से या सम्बन्धों की मर्यादा का पालन करते हुये नाम लेने में संकोच कर गये और मैं उनका आभारी हूँ, “अनन्य सहयोगी” जैसे सम्बोधन के लिये।

उनकी दो बातों “कद्दू छुरी में गिरे या छुरी कद्दू में गिरे” और “देखते हैं कहाँ तक संयम साथ देता है” ने मेरे दिल और दिमाग में दहशत तो नहीं, लेकिन कौतूहल सी गुदगुद्दी पैदा कर दी है। आप लोग इन दोनों बातों का मर्म समझिये। अब वे धमकी देने पर भी आ गये हैं। “कद्दू” पर तो वे 17 बार छुरी मार चुके हैं।
मैं मुख्यत: टिहरी विधानसभा पर आता हूँ और जितनी विधान सभाओं का उन्होंने जिक्र किया है, उन पर बाद में आऊँगा। मैं टिहरी की जनता का आभारी हूँ जिन्होंने दो बार मुझे विधान सभा पहुँचाया। नासमझ उडयारी पहाड़ी होने के कारण मैं अवसरों का कभी लाभ नहीं उठा पाया, नहीं तो पुण्यात्मा राजीव जी ने मुझे 1985 में गौरीगंज से चुनाव लड़ने के लिये कहा था।
2012 के विधानसभा चुनाव में एक नहीं अनेक षड्यन्त्र कर बेईमानी से या यों कहिये अपनी नासमझी से मैं चुनाव हार गया, कैसे..? उस पर भी कभी बाद में। चुनाव हारने के बाद लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं लेकिन षड्यन्त्र से 377 वोटों से चुनाव हारने के बाद भी मैं कांग्रेस की सरकार बनाने के अभियान में जुट गया। बसपा के विधायकों से सम्पर्क किया।एक निर्दलीय विधायक का समर्थन कांग्रेस के लिये जुटाया।
सरकार बनने के बाद सबसे अधिक नुकसान मुझे उठाना पड़ा। मैं अपने विधानसभा में जब-जब सक्रिय होता, तब तक दिल्ली से संदेश आता कि कांग्रेस की सरकार निर्दलियों पर टिकी है सरकार गिर जायेगी, इसलिये आप टिहरी में Interfer न करिये। खुद की बनायी सरकार को गिराना क्या उचित होता..?
कांग्रेस की सरकार होने पर भी सबसे उपेक्षित टिहरी विधान सभा का कांग्रेस वर्कर रहा। मेरी हृदय से कामना थी कि श्री हरीश चन्द्र सिंह रावत जी को उत्तराखंड का मुखिया होने का एक अवसर अवश्य मिलना चाहिये और उसके लिये मुझसे जो हो सकता था, सब प्रयत्न किये। उस पर भी बाद में कभी चर्चा करूँगा नहीं तो विषयांतर हो जायेगा।
जब रावत जी के CM बनने की बात चल रही थी तो टिहरी के निर्दलीय विधायक का समर्थन भी चाहिये था, लेकिन कितना..। मैंने फिर नासमझी का एक Sentimental निर्णय लिया और रावत जी कहा कि आप मुख्यमंत्री बनिये, टिहरी के विधायक जी को कह दीजिये मैं यह Sacrifice भी करूँगा, वे ही वहाँ से चुनाव लड़ें।
जिस दिन टिहरी के विधायक को CM साहेब ने मन्त्री बनाया, सुबह मैंने उनसे किसी मसले पर बात की, उन्होंने मुझे नहीं बताया कि वे टिहरी के विधायक जी को मंत्री बना रहे हैं टिहरी के विधायक जी के मन्त्री बनने की जानकारी मुझे शपथ के बाद एक पत्रकार मित्र ने दी।
मेरी क्या मनोदशा हुई होगी..? आप समझ सकते हैं।
वार्ता जारी रहेगी…"