गजब! हैकरों ने बना दी उत्तराखंड के डीजीपी की फेक फेसबुक आईडी, पैसों की मांग भी की

गजब! हैकरों ने बना दी उत्तराखंड के डीजीपी की फेक फेसबुक आईडी, पैसों की मांग भी की
गजब! हैकरों ने बना दी उत्तराखंड के डीजीपी की फेक फेसबुक आईडी, पैसों की मांग

देहरादून: उत्तराखंड में हैकरों के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि अब डीजीपी अशोक कुमार के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर रुपये मांगने लग गए हैं। रुपये जिससे मांगे गए वह डीजीपी का परिचित भी है। व्यक्ति की शिकायत पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले के खुलासे के लिए एसटीएफ की एक टीम भी गठित की गई है।
फेसबुक पर किसी की भी फेक आईडी बनाकर रुपये मांगने के अक्सर मामले सामने आते रहते हैं। इस बार तो हद ही हो गई। उत्तराखंड पुलिस के सबसे बड़े अफसर की आईडी हैक कर उनके परिचित से ही रुपये मांग लिए। प्रकरण में तनुज ओबरॉय निवासी मोती बाजार ने शिकायत दर्ज कराई है। तनुज के अनुसार उन्हें गत 14 जून को फेसबुक मैसेंजर से एक मैसज आया था। यह मैसेज आईपीएस अशोक कुमार के नाम से मिला। इस मैसेज में गूगल पे या पेटीएम के माध्यम से 10 हजार रुपये की मांग की गई थी।
तनुज के अनुसार वह डीजीपी अशोक कुुमार को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। लिहाजा, उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हुआ। इस पर उन्होंने उस आईडी का यूआरएल चेक किया। पता चला कि यह यूआरएल किसी सुधाकर डॉट एसके के नाम की आईडी का है। ऐसे में उन्हें अब यकीन हो गया कि यह किसी ने फर्जी आईडी बनाई है। इंस्पेक्टर कोतवाली रितेश साह ने बताया कि तनुज की शिकायत पर तत्काल आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। 
वीडियो कांफ्रेंसिंग में आया मुद्दा, टीम बनी 
मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई। इसमें कानून व्यवस्था के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि इस मामले को अति गंभीर मानते हुए आरोपी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी करने के निर्देश दिए गए। इसके लिए एसटीएफ और जिला पुलिस की एक टीम भी गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच के लिए छह टीमें गठित 
मामला सामने आने के बाद मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में इस संबंध में एक वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई। प्रकरण की जांच के लिए एसटीएफ की छह टीमें गठित की गई हैं। इसके साथ ही देहरादून समेत अन्य जनपदों से इस तरह के मामलों का विवरण मांगा गया है।डीआईजी एसटीएफ और मुख्यालय के सह प्रवक्ता डॉ. निलेश आनंद भरणे ने बताया कि इन टीमों को अलग-अलग राज्यों में भेजा गया है। पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं उनका भी अवलोकन किया जा रहा है।